जांजगीर। लकवा, हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट, सर्पदंश, आत्महत्या के प्रयास, जहर खाने वाले गंभीर मरीजों को जिला अस्पताल पहुंचने पर तत्काल इलाज दिलाने व उसकी जान बचाने के लिए प्रदेश के 11 जिला अस्पतालों में तीन प्रकार के कोड बनाए जाएंगे। कोड रेड सीरियस मरीजों के लिए होगा। कोड रेड जोन में एक्सपर्ट डॉक्टर्स की टीम, इमरजेंसी इक्यूपमेंट और दवा मौजूद रहेगी। जैसे ही गंभीर मरीज अस्पताल पहुंचेगा, मेडिकल स्टाफ को तुरंत बुलाया जाएगा। इसके लिए हर जिला अस्पताल में एक कोड बनाया जाएगा। इसे सुनकर बाकी सब काम छोड़कर सभी कोड रेड में पहुंच जाएंगे। जिसे जिस काम के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, वह वही काम करेगा। उसी स्थान पर रहेगा, ताकि मरीज के इलाज में मिनटभर की भी देरी न हो। तबीयत बिगडऩे पर मरीज अपने नजदीक के जिला अस्पतालों मेंं जाते हैं। गंभीर मरीजों के लिए अधिक सुविधाएं नहीं होने या एक्सपर्ट डॉक्टर की कमी होने के कारण कई बार ऐसे मरीजों को हायर अस्पतालों के लिए रेफर कर दिया जाता है। अब कोई भी जिला अस्पताल रेफरल सेंटर के रूप में न जाना जाए, इसके लिए प्रदेश के 11 जिलों में एक विशेष सेवा शुरू की जा रही है। इन चुनिंदा जिला अस्पतालों में मरीजों की पहचान के लिए तीन अलग अलग कोड निर्धारित किए जाएंगे। कोड ग्रीन, कोड यलो और कोड रेड। इसी के आधार पर मरीजों को इलाज में प्राथमिकता दी जाएगी। कोड रेड के मरीजों को सबसे अधिक गंभीर माना जाएगा। ऐसे मरीजों के लिए अलग से वार्ड भी बनाया जाएगा। जहां उसे विशेष इलाज दिया जा सकेगा। इसके लिए चुने हुए 11 जिला अस्पतालों के डॉक्टरों को दिल्ली में प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। इनमें जांजगीर-चांपा जिले से सीएस डॉ. अनिल जगत, एमडी मेडिसिन डॉ. आलोक नाथ मंगलम शामिल हैं। प्रशिक्षण के दौरान डॉक्टर्स की टीम को गंभीर मरीज का इलाज कैसे करना है, क्या-क्या जरूरी दवा की जरूरत पड़ेगी, टीम के किस सदस्य की क्या भूमिका होगी, वह कहां पर रहेगा, इन सब बातें मॉक ड्रिल माध्यम से बताई गईं। गंभीर मरीज के इलाज की व्यवस्था नहीं होने के कारण कई बार डॉक्टर गंभीर मरीज को किसी दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर देते हैं। इससे मरीजों का समय पर इलाज शुरू नहीं हो पाता और उनकी मौत हो जाती है। डॉक्टर्स के अनुसार यदि ट्रामा का मरीज एक घंटे के अंदर अस्पताल पहुंच जाता है और वह हार्ट का भी पेशेंट है और दोनों जांच अलग-अलग जगह होगी तो उसकी जान को खतरा अधिक रहेगा। वहीं सभी इलाज एक जगह होने पर उसे बचाया जा सकता है। इसी कांसेप्ट से यह व्यवस्था की जा रही है। दिल्ली एम्स द्वारा इस तरह की इलाज की व्यवस्था उत्तरप्रदेश और केरल के सरकारी अस्पतालों में शुरू की जा चुकी है। अस्पताल में इलाज के दौरान हो रहे मौत की घटना को कम करने के लिए ये तीन प्रकार के कोड शुरू किए जाएंगे। राज्य के जांजगीर-चांपा, धमतरी, दुर्ग, सुकमा, सूरजपुर, गरियाबंद, कबीरधाम, कोरिया, मुंगेली, नारायणपुर और रायगढ़ के जिला अस्पताल में ये सुविधा शुरू की जाएगी। डॉ. अनिल कुमार जगत, सिविल सर्जन जिला अस्पताल, जांजगीर अस्पताल में मरीज के पहुंचने पर कई बार इलाज में देरी हो जाती है। इससे मरीज को बचाना आसान नहीं होता। मरीज की जान बचाने के लिए हर एक मिनट कीमती होता है। इ?सलिए ये व्यवस्था शुरू की जा रही है। इससे मरीज का इलाज तत्काल शुरू हो जाएगा। एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति अस्पताल पहुंचा है तो उसकी स्थिति देखकर तुरंत इलाज शुरू किया जाएगा। कोड रेड की जानकारी मिलते ही एक्सपर्ट डॉक्टर, नर्स सहित अन्य मेडिकल स्टाफ तत्काल मौके पर पहुंच जाएंगे और बिना किसी देरी के इलाज शुरू कर देंगे। जोन में जो डॉक्टर जिसके लिए एक्सपर्ट हैं, वे वहीं काम करेंगे। वहां गंभीर मरीज के लिए इलाज के लिए सभी सामान रखे जाएंगे। प्रदेश के 11 जिला अस्पतालों में ये सुविधा शुरू होगी।