इंदौर, ३० अक्टूबर ।
देश में ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। मंगलवार को इंदौर की एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले 71 वर्षीय बुजुर्ग को जालसाझों ने अपना शिकार बनाया। साइबर अपराधियों ने बुजुर्ग को गिरफ्तारी वारंट और सुप्रीम कोर्ट के जाली आर्डर भेजकर धमकाया। ठगों ने बुजुर्ग पर फर्जी ट्रांजेक्शन का आरोप लगाया। इसके बाद ठगों ने बुजुर्ग से अलग-अलग खातों में 40 लाख 70 हजार रुपये ट्रांसफर करवा लिये।अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी) राजेश दंडोतिया ने बताया कि दो आरोपियों ने मुंबई पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी बनकर एक निजी कंपनी में काम करने वाले बुजुर्ग को फोन किया। उन्होंने बताया कि जालसाजों ने पीडि़त को बताया कि मुंबई में केनरा बैंक के एक खाते के जरिए उसके नाम पर 2.60 करोड़ रुपये का फर्जी लेनदेन किया गया है।दंडोतिया ने बताया कि जालसाजों ने बुजुर्ग से वीडियो कॉल की और उसे डिजिटल अरेस्ट में रखने की धमकी दी और फर्जी पूछताछ के दौरान उसे निर्देश देते रहे। गिरफ्तारी के डर से शिकायतकर्ता ने अपनी बचत से 40.7 लाख रुपये आरोपियों के अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए।अधिकारी ने बताया कि जालसाजों ने व्यक्ति से कहा कि यदि वह कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जांच में निर्दोष पाया जाता है तो एक या दो घंटे के भीतर उसके खाते में राशि वापस कर दी जाएगी। दंडोतिया ने बताया कि ठगी का अहसास होने पर व्यक्ति ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पीडि़त ने जब स्वजनों को घटना बताई तो उसके बाद एनसीआरपी पोर्टल 1930 पर शिकायत की गई।
अपराध शाखा ने बयान लेकर मंगलवार को मामला दर्ज कर लिया।अपराध शाखा के एडीसीपी के मुताबिक, हाल ही में साइबर अपराधियों ने करीब तीन करोड़ रुपये की ठगी की है। हालांकि, शिकायत के बाद अपराध शाखा 70 लाख से ज्यादा की राशि वापस दिला दी है।शिकायत के आधार पर भारतीय न्याय संहिता के संबंधित प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है और विस्तृत जांच चल रही है। डिजिटल गिरफ्तारी साइबर धोखाधड़ी का एक नया तरीका है जिसमें जालसाज कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल पर धमकाते हैं और गिरफ्तारी के झूठे बहाने से उन्हें डिजिटल रूप से बंधक बना लेते हैं।