उपयोग करने के बाद लगातार उल्टी ने डराया
कोरबा। बारिश के मौसम में लोगों को खानपान और जीवनशैली के मामले में सतर्क रहने की जरूरत है। डॉक्टर बार-बार इसे लेकर सलाह दे रहे हैं। जरा सी लापरवाही से लेने के देने पड़ सकते हैं। हरदीबाजार क्षेत्र में सुआमुंडी खाने का लालच चार लोगों को भारी पड़ गया। स्थिति बिगडऩे पर इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर पीडि़तों पर नजर रखे हुए हैं।
कोरबा जिले के पाली विकासखंड अंतर्गत आने वाले हरदीबाजार का यह मामला है। यहां की पुरानी बस्ती में रहने वाले हरिशचंद्र मिरी के परिवार में पुटू की प्रजाति सुआमुंडी खाने के चक्कर में फूड प्वाइजनिंग हो गई। चार लोग इसके दायरे में आए। इनके नाम संगीता मिरी, प्रेमलता मिरी, चंपा मिरी और मुकेश मिरी बताए गए। खबर के अनुसार शुक्रवार की रात 8 बजे के आसपास इन लोगों ने सुआमुंडी की सब्जी और चावल का उपयोग किया था। बारिश के दिनों में पैरा और जंगली पुटू की कई वेरायटी बाजार में हैं और लोग इसका स्वाद लेने के लिए मुंह मांगी कीमत देने को तैयार हैं। पुटू की पहचान ठीक तरह से नहीं होने के कारण आपात स्थिति उत्पन्न हो रही है और फिर इसकी बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ रही है। मिरी परिवार के यहां भी ऐसा ही हुआ। बताया गया कि भोजन करने के कुछ देर के बाद ही संबंधित लोगों को बेचैनी महसूस हुई। उन्होंने घबराहट की शिकायत की और फिर इसके कुछ देर के बाद उन्हें उल्टी होना शुरू हो गई। खास बात यह है कि जिन सदस्यों ने सुआमुंडी की सब्जी खाई थी उनके साथ ही ऐसा हुआ। इस घटनाक्रम से यहां हडक़ंप की स्थिति निर्मित हो गई। पड़ोसियों और परिचितों को इसकी जानकारी दी गई। घरेलू तरीके से स्थिति नियंत्रित करने का प्रयास हुआ जो असफल रहा। बताया गया कि रात्रि 3 बजे के आसपास पीडि़तों को हरदीबाजार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। मेडिकल टीम ने जीवन रक्षक दवा और ओआरएस देने के साथ उपचार जारी रखा। आज सुबह तक इन सभी पर निगरानी रखी गई। पूछताछ में यही बात सामने आई कि पुटू की सब्जी के चक्कर में यह सब हुआ है। कयास लगाया जा रहा है कि पुटू के विषाक्त होने से समस्या हुई।
एक हजार रुपए किलो तक पहुंची कीमत
वर्तमान में बाजार में ग्रामीण क्षेत्रों से सफेद, मटमैला और भूरे रंग वाला पुटू पहुंच रहा है। इसके चाहने वाले भी कम नहीं हैं जो बराबर इसकी जानकारी हासिल करते रहते हैं। खरीदी पर भी उनका ध्यान है। जानकारों ने बताया कि पैरा पुटू के रेट एक हजार रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं जबकि जंगल में उत्पन्न होने वाले पुटू 400 से 600 रुपए प्रति किलो की दर पर उपलब्ध है। विक्रेता इस बात को जानते हैं कि अब शॉपिंग मॉल में भी उनका सामान खूब बिक रहा है इसलिए वे मोल भाव करने पर कोई समझौता नहीं कर रहे हैं।
मार्कोलॉजी की जानकारी जरूरी
खानपान का शौक रखना अच्छी बात हो सकती है लेकिन यह भी जरूरी है कि लोग जो कुछ खा रहे हैं उसके बारे में क्या जानकारी है। खासतौर पर बारिश के मौसम में होने वाले सब्जियां और इनके दूसरे विकल्प में कई प्रकार के जटिलताएं होती है। जहां तक मशरूम या पुटू का सवाल है उसकी बनावट को ठीक से पहचानने के लिए मार्कोलॉजी सबसे अहम होता है। इसके जरिए जाना जा सकता है कि कौन सी प्रजाति सामान्य है और कौन सी आपको नुकसान पहुंचा सकती है। पहचान न होने पर उपयोग से लोगों को बचना होगा।
-डॉ. संदीप शुक्ला, वनस्पति शास्त्री