कोरबा। सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया के अधीन संचालित एसईसीएल सहित कोल इंडिया की सहयोगी कोयला कंपनियों से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को आवासीय कॉलोनी के मकान लीज पर देने पर निर्णय नहीं लिया जा सका है। कोल इंडिया के आवास सब कमेटी की दो बैठक बेनतीजा रहने से रिटायर्ड कर्मचारियों को लीज पर आवास मिलने का इंतजार बढ़ाया है।
नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट (एनसीडब्ल्यूए) पर समझौते के बाद जेबीसीसीआई के सदस्यों ने नॉन एमजीबी के मुद्दे पर निर्णय लेने बैठक में रिटायर्ड कोयला कर्मचारियों को कोल कंपनियों के आवासीय कॉलोनियों के मकान लीज पर देने का मुद्दा उठाया। जेबीसीसीआई सदस्यों ने कंपनी प्रबंधन पर फैसला लेने का दबाव बनाया। चूंकि आवासीय कॉलोनियों में खाली मकानों की जानकारी जुटाने पर ही निर्णय लिया जाना था। इसलिए सबकी सहमति से कोल इंडिया स्तर पर आवास सब कमेटी का गठन किया।
कमेटी में प्रबंधन के अधिकारी व यूनियन के शीर्ष नेताओं को सदस्य बनाया है। टीम में कार्मिक विभाग के एक कर्मचारी को शामिल किया है। सब कमेटी की दो बैठक हो चुकी है। मगर इस पर निर्णय नहीं लिया जा सका। इससे रिटायर्ड कर्मियों को लीज पर आवास मिलने के इंतजार को और बढ़ा दिया है। अब एरिया स्तर पर आवास आवंटन समिति बनाई है। यह समिति आवासीय कॉलोनियों में जाकर सर्वे शुरू कर दिया है। समिति में बीएमएस, इंटक, सीटू, एचएमएस व एटक के पदाधिकारियों को सदस्य बनाया है। अब समिति के सदस्यों ने आवासीय कॉलोनी में पहुंचकर सर्वे शुरू कर दिया है। ताकि कॉलोनियों में खाली आवास के स्पष्ट आंकड़े मिल पाएंगे।
आवास सब कमेटी की जब कभी अगली बैठक होगी, समिति की ओर से मकानों की संख्या के संबंध में बनाई सर्वे रिपोर्ट को कोल इंडिया प्रबंधन के समक्ष पेश किया जाएगा। इसके आधार पर रिटायर्ड कर्मचारियों को लीज पर आवास देने पर निर्णय लेंगे। इससे उन कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलेगी जो रिटायरमेंट के बाद भी कॉलोनी के मकानों को नहीं छोड़ा है। समिति बनाने की यह रही वजह कोल इंडिया आवास सब कमेटी की दूसरी बैठक में कंपनी प्रबंधन ने यह कह दिया था कि कोल इंडिया में 2 लाख 25 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं और इसके अनुरूप ही आवास होने से खाली नहीं है। इस पर यूनियन नेताओं ने तर्क दिया था कि कई कर्मचारी अपने निजी आवास में रहकर ड्यूटी करते हैं। अब एरिया स्तर पर आवास आवंटन समिति बनाई है।