दिखावा साबित हो रही मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना
कलेक्टर कोरिया से पहल की मांग

चर्चा कॉलरी। शिक्षा के बहुमुखी विकास हेतु सतत प्रयासरत छत्तीसगढ़ शासन के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की महत्वाकांक्षी योजना आत्मानंद स्कूल नगर पालिका शिवपुर चर्चा क्षेत्र में प्रशासनिक लापरवाही की वजह से दम तोड़ती नजर आ रही है व बड़ी-बड़ी घोषणाएं महज दिखावा साबित हो रही हैं चरचा कालरी स्थित स्वामी आत्मानंद स्कूल में हर तरफ अव्यवस्था का आलम है जिसकी वजह से छात्र परेशान हो रहे हैं चरचा कालरी के वार्ड क्रमांक 8 में स्थित कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को उन्नयनकर कर स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल का स्वरूप दिया गया इस हेतु लगभग 65 लाख रुपए की राशि भी भवन निर्माण व अन्य कार्यक्रम के लिए जारी की गई कलेक्टर कोरिया के द्वारा स्वयं समय-समय पर आकर भवन निर्माण को गति देते हुए देखरेख किया गया शासन के निर्देशानुसार भवन का वर्चुअल लोकार्पण भी किया गया जिसमें सिर्फ बाहर से रंगी पुती भवन की बिल्डिंग नजर आई किंतु अंदर की असलियत नहीं दिखाई गई और लोगों ने समझा की बहुत ही बेहतर काम हुआ है किंतु स्थिति इसके विपरीत है।
न पानी है न बिजली है
लगभग 65 लाख रूपों की लागत से पूर्व कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की बिल्डिंग के ऊपर दूसरी मंजिल मैं कई कमरे बनाए गए इन कमरों में अभी तक बिजली की वायरिंग नहीं की गई दूसरी मंजिल में बने शौचालय में पानी की कोई व्यवस्था नहीं कई जगह से टाइल्स टूटे हुए हैं यूरिनल में बेतरतीब तरीके से कई जगह गड्ढे हैं जिन पर न तो स्टील की जाली लगी है और न हीं पानी का प्रवाह है जिसकी वजह से चारों तरफ दुर्गंध फैली रहती है शौचालय में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है ऐसी स्थिति में शौचालय सिर्फ कागजी आंकड़ों में दिखावा साबित हो रहा है विद्यालय प्रारंभ हुए लगभग डेढ़ महीने हो गए इस अवधि में कितनी समस्याओं के साथ बच्चे कैसे पढ़ाई कर रहे होंगे यह सोच का विषय है।
बेंच और डेस्क की है कमी
प्रशासन द्वारा दिखावे के लिए विद्यालय की बिल्डिंग तो बना दी गई किंतु विद्यालय में बच्चों के पठन-पाठन हेतु नए बेंच और डेस्क अभी तक नहीं दिए गए विद्यालय में फर्नीचर की बेहद कमी है दिखावे के लिए जल्दबाजी में विद्यालय सत्र भी प्रारंभ कर दिया गया जिसमें काफी संख्या ने बच्चों ने प्रवेश भी लिया किंतु आज दिवस तक प्रशासन द्वारा बच्चों के बैठने हेतु बेंच डेस्क उपलब्ध नहीं कराया इस वजह से विद्यालय में पूर्व कार्यकाल के जो टूटे-फूटे बेंच डेस्क हैं उन्हीं से दो शिफ्ट में विद्यालय चल रहा है टूटे फर्नीचर की वजह से बच्चों के गणवेश भी फट जा रहे हैं विद्यालय में सुबह 7.30 से 12.30 तक अंग्रेजी माध्यम की कक्षाएं लगती हैं इसके पश्चात 12.30 से शाम 5.30 तक हिंदी माध्यम की कक्षाएं ली जाती है दोपहर 12.30 बजे ग्रामीण क्षेत्र से पैदल चलकर आने वाली छात्राएं तेज धूप में पसीने से तरबतर बच् पैदल चलते हुए किसी तरह स्कूल पहुंचती हैं शाम 5.30 बजे के बाद सरडी महुआ पारा शिवपुर व अन्य आसपास के क्षेत्र से आए हुए छात्राओं को पैदल घर वापस पहुंचने में काफी वक्त लगता है थकी हारी छात्राएं अंधेरे के समय में घर पहुंचती हैं ऐसी स्थिति में अप्रिय घटनाओं को भी नकारा नहीं जा सकता वही अंग्रेजी माध्यम की कक्षाएं सुबह 7:30 बजे स्कूल प्रारंभ होने की वजह से अभिभावकों व बच्चों को भोर में 4 बजे उठना पड़ता है तब जाकर कहीं स्कूल जाने की तैयारी हो पाती है दो शिफ्ट में स्कूल चलने की वजह से अभिभावकों बच्चों दोनों को बेहद परेशानी हो रही है विद्यालय में साइकिल अथवा वाहन स्टैंड कि कोई भी व्यवस्था नहीं है।
मनमाने ढंग से हुआ निर्माण
दूसरी मंजिल पर नवनिर्मित विद्यालय के दो बड़े कमरों के बीच में दरवाजा अथवा पार्टीशन नहीं लगाया गया है जिससे एक कमरे में बैठे छात्र दूसरे कमरे में आसानी से जा सकते हैं ऐसी स्थिति में पढ़ाई कैसे संभव होगी एक कमरे में बैठे बच्चों की आवाज़ दूसरे कमरे में बैठे बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित करेगी जिससे पढ़ाई संभव नहीं है
प्राचार्य व स्टाफ के लिए नहीं है शौचालय
स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय हेतु लगभग 25 शिक्षक कर्मचारियों का स्टाफ है इनमें से कई महिला शिक्षिका है बावजूद इसके स्टाफ के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं की गई है।
लैब में लगती है कक्षाएं
स्वामी आत्मानंद विद्यालय के संचालन हेतु कमरों की बेहद कमी है इस वजह से लैब की कक्षा में भी बच्चों के डेस्क बेंच लगाकर वहां पढ़ाई की जाती है जबकि अंग्रेजी व हिंदी दोनों माध्यम के लिए अलग-अलग लैब होने चाहिए, विद्यालय की दूसरी मंजिल में जाने हेतु बनी सीढिय़ों में रेलिंग भी नहीं लगाई गई है जिससे बच्चों के गिरने का खतरा बना हुआ है इसके अतिरिक्त कमरे में ठेकेदार की निर्माण सामग्री कचरे के रूप में पड़ी हुई है अव्यवस्था के आलम में विद्यालय में चपरासी , कर्मचारी की भी कमी है पूर्व के कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 4 चपरासी थे जिनमें से 2 को अंग्रेजी माध्यम व दो को हिंदी माध्यम की कक्षाओं के दौरान काम पर नियोजित किया जाता है कर्मचारी कम होने की वजह से साफ-सफाई व अन्य कार्य भी प्रभावित होते हैं जबकि शासन के गाइडलाइन के अनुसार दोनों पारियों में 4–4 के हिसाब से अर्थात 8 कर्मचारी होने चाहिए स्थानीय नागरिकों व अभिभावकों ने कलेक्टर कोरिया से स्वामी आत्मानंद विद्यालय चर्चा की जांच कर बदहाल व्यवस्था के प्रति सुधार की मांग की है गौरतलब है कि शहरी क्षेत्र में मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं का यह हाल है तो ग्रामीण क्षेत्र का क्या होगा।