कोरबा सीट पर भाजपा और कांग्रेस में टक्कर
कोरबा। लोकसभा सीट पर 7 मई को होने वाले मतदान से पहले कांग्रेस और भाजपा का चुनाव प्रचार अपने संसाधनों से जारी है। इलेक्ट्रॉल बॉंड के मुद्दे और खाता सीज होने को प्रचारित कर कांग्रेस ने ज्यादा तामझाम से दूरी बनाई है वहीं भाजपा इसके उल्टे प्रदर्शन कर रही है। इन सबके बीच कई कारणों से कांग्रेस, गोंडवाना सहित कई दलों के लोगों का प्रवेश भाजपा में होना जारी है। इसे राजनीतिक शुद्धिकरण का नाम भी दिया जा रहा है, पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या ऐसे लोगों के वोट भाजपा प्रत्याशी को प्राप्त होंगे भी?
कोरबा लोकसभा क्षेत्र में आने वाले चार जिलों की आठ विधानसभा सीट शामिल हैं। इनमें भाजपा खेमे में आने वाले लोगों की सर्वाधिक संख्या कोरबा जिले में दर्ज हुई है। इनमें नगर पालिका, नगर पंचायत के अध्यक्ष के साथ-साथ निकायों के पार्षद और दूसरी पार्टियों में जिला से लेकर प्रदेश स्तर पर प्रतिनिधि रहे लोगों ने भाजपा का दामन थामा है। कई वर्षों तक दूसरी पार्टी के विश्वस्त रहे लोगों का कहना है कि कई कारणों से वहां रहना बेहतर नहीं रहा। उपेक्षा भी हुई। इसलिए अब उन्हें भाजपा की रीति-नीति अच्छी लग रही है इसलिए वे इसमें चिपक गए। लोकसभा चुनाव और प्रदेश में भाजपा की सरकार होने से अपने लिए फायदे को जानकर ऐसे लोगों का प्रवेश भाजपा में हुआ है, राजनीति के जानकारों का यह दावा है। खुद भाजपा से जुड़े लोग बताते हैं कि लोकसभा चुनाव हमारे लिए महत्वपूर्ण है। कोरबा सीट को जीतने के लिए कई प्रकार के तिकड़म जरूरी हैं, जो हर पार्टी किया करती है। इन सबके बावजूद हम अपने प्रति वफादार लोगों पर ही भरोसा कर रहे हैं। खास कारणों से पार्टी ज्वाइन करने वालों का वोट भाजपा को मिल सकेगा इसकी गारंटी इतनी जल्द तय नहीं हो सकती। दूसरी ओर बीते दिनों में कांग्रेस खेमे में भी काफी लोगों ने प्रवेश किया है और उसे समर्थन देने की बात कही है। लोकसभा क्षेत्र में मुख्य रूप से मुकाबले की स्थिति भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है, यह सर्वसम्मत तथ्य है। लेकिन जब तक मतदान नहीं हो जाता, कोई भी एक-दूसरे को कम आंकने के मूड में बिल्कुल नहीं है।
0 अपने दम पर बसपा का संघर्ष
उधर छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दौरान निराश हुई बसपा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कोरबा समेत सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। कांग्रेस से उसकी नजदीकी बीते वर्षों में रही है लेकिन अब मोह भंग है। कोरबा में प्रत्याशी के नामांकन दाखिले के दौरान उपस्थित स्टेट को-ऑर्डिनेटर मनीष आनंद ने बताया कि किसी से समझौते का सवाल ही नहीं है। हमारे नेताओं को अलग-अलग जोन की जिम्मेदारी दी गई है और वे भूमिका निभा रहे हैं।