कोरबा। आयुर्वेद में पहला सुख निरोगी काया को बनाया गया है और इसी उद्देश्य से प्राथमिक कोशिश इसी बात को लेकर की जाती है। दमा और श्वसन बीमारी से पीडि़त व्यक्तियों को छुटकारा देने के लिए कोरबा में निशुल्क औषधि का वितरण आयुर्वेद चिकित्सक नागेंद्र नारायण शर्मा कर रहे है। चित्रकूट क्षेत्र में पाई जाने वाली वनस्पतियों से इसे तैयार किया जाता है ।
कोरबा के महानदी परिसर स्थित पतंजलि चिकित्सालय सहित जमनीपाली, ट्रांसपोर्ट नगर शिव औषधालय कोरबा में यह दवा प्राप्त हो रही है। डॉक्टर शर्मा पिछले कई वर्षों से पीडि़तों को यह औषधि वितरित करते आए हैं और इस बार भी अभियान जारी है। उन्होंने बताया कि बिना किसी लक्ष्य के इस काम को किया जाएगा। इससे पहले के वर्षों में औषधि प्राप्त करने वाले हजारों मरीजों को निरोगी जीवन प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि शरद पूर्णिमा की खीर चतुर्दशी की रात यानि 27 अक्टूबर शुक्रवार की रात बना लें। फिर 28 अक्टूबर को जब शरद पूर्णिमा की तिथि प्रात: 04.17 बजे से शुरू हो तो उस समय उस खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख दें। उस दिन चंद्रास्त प्रात: 04.42 पर होगा। यह समय नई दिल्ली का है। चंद्रास्त के बाद उस खीर को खा सकते हैं। 28 अक्टूबर के प्रात: पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा की औषधियुक्त रोशनी प्राप्त हो जाएगी, जो औषधि को प्रभावी बनाएगी। 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है और उस दिन चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर से प्रारंभ है। यदि आप इस दिन खीर बनाकर रखते हैं तो व?ह दूषित हो जाएगा। सूतक काल के पूर्व आप खीर बना लेते हैं तो भी वह ग्रहण से दूषित होगा। उसे आप ग्रहण के बाद चंद्रमा की रोशनी में रखकर नहीं खा सकते हैं। इसलिए गुण दोष को लेकर लोगों को सतर्कता बरतनी होगी।