जांजगीर-चांपा। जिला मुख्यालय में जल आवर्धन योजना का काम कछुए की चाल को मात दे रहा है। दो साल का काम पांच वर्ष बाद भी अधूरा पड़ा है। ठेकेदार ने लंबे समय से काम बंद कर दिया है। अभी भी योजना के तहत 30 फीसदी से अधिक काम बाकी है। इधर गर्मी में शहरवासियो की पानी को लेकर परेशानी भी शुरू हो गई है। जांजगीर शहर की आबादी 50 हजार से पार हो चुकी है, लेकिन नल से पानी सप्लाई की व्यवस्था नहीं है। शहरवासी हैंड पंप और निजी बोर से ही अपने पानी की जरूरत पूरी करते हैं। बाकी दिनों में तो काम चल जाता है, लेकिन गर्मी आते ही वाटर लेबल डाउन होने के कारण पेयजल की समस्या खड़ी हो जाती है। इससे निपटने के लिए नगर पालिका जांजगीर नैला ने हसदेव जल आवर्धन की योजना भी बनाई है, लेकिन यह योजना अधर में है। नगर पालिका परिषद जांजगीर नैला द्वारा जिला मुख्यालय जांजगीर के घर-घर पानी पहुंचाने के लिए नल जल योजना के तहत 35 करोड़ की लागत से काम कराया जा रहा है। काम की गति का$फी धीमी है जिसके कारण लगातार समय बढ़ाने के बाद भी काम नहीं हो पा रहा है। योजना के तहत काम पांच साल पहले शुरू हुआ था। ठेकेदार को कार्य पूर्ण करने के लिए तब दो साल का समय दिया गया था, लेकिन अब तक महज 70 फीसदी ही काम हो सका है। ठेकेदार ने लंबे समय से काम बंद कर दिया हैं और फिर से समय वृद्धि की मांग की है। पूर्व में कार्य पूर्णता की अवधि अक्टूबर 2020 तय की गई थी, लेकिन काम की मंद गति के कारण इसकी अवधि को दो साल बढ़ा कर अक्टूबर 2022 किया गया। इस अवधि में भी 50 फीसदी काम नहीं हो सका। ठेकेदार ने फिर से एक्सटेंशन की मांग की और उसे नवंबर 2023 तक का समय दिया गया। एक्सटेंशन की यह अवधि भी समाप्त हो गई और महज 70 फीसदी ही काम हो सका है। ठेकेदार ने एक बार फिर से एक्सटेंशन की मांग की है। योजना के तहत नगर में दो टंकी बननी है, वह अधूरी है। वार्डों में पाइप लाइन विस्तार का काम भी अटका हुआ है। कुछ वाडों में इसका विस्तार भी हुआ है, लेकिन बाकी मोहल्लों में पाइप लाइन विस्तार का काम नहीं हो सका है। अभी भी 30 प्रतिशत काम बचा है। ऐसे में अगर ठेकेदार काम शुरू भी कर देता है तो इस बार की गर्मी में
हसदेव नदी से आना है पानी
जांजगीर चांपा जिला का गठन 25 मई 1998 को हुआ। दो दशक से अधिक अवधि गुजरने के बाद मी जिला मुख्यालय जांजगीर में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी है। जांजगीर और चांपा शहर की दूरी महज 9 किलोमीटर है। चापा के हसदेव नदी से जिला मुख्यालय में पानी लाना है. लेकिन इस कवायद में एक दशक से अधिक गुजर गया है। सरकार का करोड़ों रुपए खर्च हो चुका है. लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण आम जनता साफ पानी के लिए तरस रही है। एक दशक पहले चाम्पा के हसदेव नदी से पाइप के माध्यम से पानी लाने 6 करोड़ की लागत से काम किया गया। पाइप लाइन विस्तार करने के साथ ही पानी टंकी, इंटकवेल और संपवेल बनाए गए, लेकिन यह प्रोजेक्ट फेल हो गया। इसके बाद पिछले पांच साल से 35 करोड़ की लागत से हसदेव जल आवर्धन योजना का काम किया जा रहा है।
नहर बनी जीवन दायिनी
नगर पालिका क्षेत्र जांजगीर बैला में जल से पानी सप्लाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण शहरवासी हैड पंप, कुंआ और निजी बोर से ही अपने पानी की जरूरत पूरीकरते हैं। बाकी दिनों में तो इन साधनों से पानी की जरूरत पूरी हो जाती है, लेकिन ठगमर्मी में जल स्तर गिरने से परेशानी बढ़ जाती है। हालांकि शहर से गुजरी हसदेव बांगो बहर लोगों के लिए जीवन दायिनी साथित होती है। पिछले कुछ सालों से गर्मी में नहरों में पानी छोड़ा जा रहा है। जिन मोहल्लो से होकर नहर गुजरी है, वहां दिक्कत कुछ कम होती है। शायद यही वजह है कि जिम्मेवार पालिका प्रशासन भी पानी की समस्या को लेकर गंभीर नहीं है। शहरवासियो को पानी नहीं मिल पाएगा। बताया जाता है कि नहर की धार 30 अप्रैल के बाद थम जाएगी। ऐसे में मई एवं जून महीने के दौरान शहरवासियों को पेयजल सहित निस्तारी की समस्या से जूझना पड़ सकता है। इसे लेकर पालिका प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है।कराए हैं अवगतजल आवर्धन योजना के काम में ठेकेदार की लापरवाही से उच्चाधिकारीयों को अवगत कराया गया है। ऊपर से जैसा निर्देश मिलेगा आगे उस हिसाब से कार्रवाई की जाएगी। गर्मी को देखते हुए शहर के तालाबों को मारने कवायद चल रही है।