
पीडि़त का आरोप- सहयोग के बजाय अभद्रता की निजी बैंक ने
कोरबा। ठगी को अंजाम देने के लिए गिरोह नए-नए तरीके अपना रहा है। कभी ईडी, तो कभी सीवीआई के नाम से लोगों को डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर उनसे रुपए की उगाही कर रहा है, तो कभी व्हाट्सएप पर लिक भेजकर लोगों को निशाना बना रहा है।
दरी के साहा कॉलोनी में क्रेडिट कार्ड से तीन लाख 31 हजार 988 रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यह लेनदेन सात किस्तों में किया गया है। कार्डधारी ने कहना है कि उसने कभी ओपीडी का नंबर साझा नहीं किया। अब यह घटना सामने आने के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। इस मामले में क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले कंपनी पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। बताया जाता है कि जमनीपाली के साडा कॉलोनी में रहने वाले रामेश्वर प्रसाद राठौर के डी-मार्ट रेडी एप से किसी सामान की ऑनलाइन खरीदी की थी। उन्होंने सामान की कीमत का भुगतान अपने क्रेडिट कार्ड से करना चाहा, जो असफल रहा। इसके कुछ समय बाद रामेश्वर प्रसाद के मोबाइल पर एक अंजान व्यक्ति का कॉल आया। उसने बताया कि भुगतान असफल हो गया है। इसलिए दोबारा भुगतान करें। कॉलर ने रामेश्वर को व्हाट्सएप के जरिए रामेश्वर प्रसाद को एक लिंक भेजा। लिंक के जरिए रामेश्वर के मोबाइल पर एप को इस्टॉल करने के लिए कहा। रामेश्वर ने पुलिस को बताया कि उसने जैसे लिंक का जैसे ही टच किया, वैसे ही उसके मोबाइल पर मैसेज आने लगा। तीन किस्तों में रामेश्वर के क्रेडिट कार्ड से एक लाख 60 हजार 994 रुपए की निकासी हुई। यह देखकर रामेश्वर घबरा गया और उसने क्रेडिट कार्ड को जारी करने वाले बैंक आईसीआईसीआई के कस्टमर केयर में फोन किया। वहां से क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक कराया। रामेश्वर ने साइबर सेल के नंबर 1930 पर भी संपर्क किया। क्रेडिट कार्ड से संबंधित जरूरी सूचना को साझा किया। इसके बाद रामेश्वर आईसीआईसीआई बैंक पहुंचा और उसने क्रेडिट कार्ड से हुई ठगी की जानकारी दी। इसके बाद रामेश्वर घर लौट गया। अगले दिन रामेश्वर के मोबाइल पर क्रेडिट कार्ड से हुई खरीदी का बिल आया। इसमें रामेश्वर के क्रेडिट कार्ड से अलग-अलग किस्तों में तीन लाख 81 हजार 988 रुपए का जिक्र किया गया था। यह देखकर रामेश्वर घबरा गया और वह फिर दोबारा आईसीआईसीआई बैंक के शाखा पहुंचा। रामेश्वर का आरोप है कि जब उसने बैंक के शाखा को क्रेडिट कार्ड से हुई ठगी की जानकारी हुई तब बैंक के स्थानीय प्रबंधन ने किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की, बल्कि अभद्र व्यवहार करते हुए रामेश्वर को घर लौटा दिया गया। रामेश्वर ने पुलिस को बताया कि उसने अपने मोबाइल पर आने वाले किसी भी ओटीपी को ठगों के साथ साझा नहीं किया और ना ही उसने क्रेडिट कार्ड से किसी तरह का लेनेदन किया है। इसके बाद भी उसके नाम पर बिल जारी किया गया है। रामेश्वर ने इस घटना की शिकायत दर्री थाने में दर्ज कराया है। उसने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। पुलिस केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। ठगी करने वाले गिरोह की पहचान नहीं हो सकी है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही गिरोह के बारे में साइबर सेल के मदद से जानकारी जुटाई जा रही है। जल्द ही गिरोह को पकड़ लिया जाएगा।