
नईदिल्ली, 01 मई ।
हाई कोर्ट के जज के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत पर लोकपाल को सुनवाई करने का अधिकार है या नहीं, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट अब जुलाई में विचार करेगा। बुधवार को न्यायमूर्ति बीआर गवई, सूर्यकांत और अभय एस ओका की पीठ ने लोकपाल के आदेश में मुख्य न्यायाधीश से निर्देश लेने की बात दर्ज होने का जिक्र करते हुए कहा कि मामले पर दूसरी पीठ विचार करेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने सुनवाई जुलाई तक के लिए टाल दी।मालूम हो कि इस बीच प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे और जस्टिस बीआर गवई भारत के प्रधान न्यायाधीश बन जाएंगे। उन्हें नियुक्ति के लिए नामित किया जा चुका है।लोकपाल ने पिछले 27 जनवरी को हाई कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ दो शिकायतों की जांच करते हुए दिए आदेश में कहा था कि हाई कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों पर लोकपाल सुनवाई कर सकता है। लोकपाल को इसका क्षेत्राधिकार है। लोकपाल के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है और यह तय करेगा कि लोकपाल को हाई कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत पर विचार करने का अधिकार है या नहीं। सीजेआई संजीव खन्ना ने इस मामले की सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ का गठन किया था। पीठ में सीजेआइ के बाद वरिष्ठता क्रम में पहले नंबर पर आने वाले न्यायाधीश बीआर गवई, दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश सूर्यकांत और तीसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश अभय एस ओका शामिल थे।
पिछली सुनवाई 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बहुत परेशान करने वाला और न्यायपालिका की स्वायत्तता से जुड़ा बताते हुए लोकपाल के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। बुधवार को मामला जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगा था।जैसे ही केस सुनवाई पर आया जस्टिस गवई ने कहा कि यह मामला दूसरी पीठ सुनेगी। तभी पीठ के दूसरे न्यायाधीश जस्टिस ओका ने लोकपाल मामले पर सीजेआई के विचार करने की बात दर्ज होने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह मामला चीफ जस्टिस को तय करना है। यह शुचिता का मुद्दा है। इसके बाद कोर्ट ने केस को जुलाई में सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया।लोकपाल ने हाई कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ जिन दो शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए सुनवाई का क्षेत्राधिकार होने की घोषणा की थी, उसमें हाई कोर्ट के वर्तमान एडिशनल जज पर उसी राज्य के एक एडिशनल जिला जज और अपने ही हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश को प्रभावित करने का आरोप था।