सरकारी तंत्र का नहीं है डर नहीं ली जा रही है पेडक़टाई की अनुमति
(सीताराम नायक)
जांजगीर-चांपा । छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा जिलेवासियों को भोगना पड़ रहा है। जहां विद्युत मंडल के अधिकारी सिर्फ कमाई करने में मगन है जिन्हें जिले की नागरिकों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। वर्तमान समय में जरा सी आंधी या पानी के आते ही कई कई घंटे बिजली बंद हो जाती है जिसे ठीक करने में अधिकारियों की रुचि जरा सी भी नहीं रहती।बरसात के पहले विद्युत संधारण करने के नाम पर वैसे भी बिजली बंद कर दी जाती है जो सप्ताह में 2 दिन 3 दिन अनिवार्य रूप से बिजली बंद कर जनता को परेशान किया जाता है । अभी 28 अप्रैल को जरा से आंधी एवं पानी आने के कारण 18 घंटे से अधिक शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली बंद रही। जबकि अधिकारियों के अपने घरों में विद्युत व्यवस्था सुदृढ़ है। जो जनता की सेवा के नाम पर मेवा खा रहे हैं। इस संबंध में अवगत हो कि पूरे प्रदेश में फाइबर तार के माध्यम से विद्युत आपूर्ति की जा रही है किंतु जांजगीर-चांपा जिले में अधिकतर स्थानों पर वही नंगी तक खुली तारे हैं जिसे आज तक नहीं बदला गया।
वर्तमान में विद्युत मेंटेनेंस के नाम पर जनता को जहां बार-बार बिजली बंद कर परेशान किया जा रहा है वही शहर की हरियाली को भी विद्युत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के द्वारा चौपट किया जा रहा है जिनके द्वारा खुली तारों होने का बहाना बनाकर शहर के पेड़ पौधों को काटकर हरियाली को समाप्त किया जा रहा है। नतीजा यह है कि शहर में बड़े-बड़े पेड़ बिना अनुमति के काट दिए जा रहे हैं जबकि इन पेड़ों से पर्यावरण सुरक्षित होने के साथ-साथ लोगों को भारी धूप में छाया मिलते रहा है, परंतु विद्युत मंडल के अधिकारियों की हठधर्मिता के कारण सडक़ किनारे स्थित पेड़ों को काटकर जमीनदोह किया जा रहा है। शहर पेड़ों से विरान होता जा रहा है।
विद्युत की समस्या केवल शहरी क्षेत्र में नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में इसका और भी बुरा हाल है यहां लाख शिकायत के बाद भी समय पर बिजली नहीं पहुंचाया जाता जिससे उपभोक्ता भारी परेशान है।
यहां यह बताना आवश्यक है कि पहले भी जिले में बिजली बिल को लेकर लोगों में आक्रोश समय-समय पर सामने आते रहा है क्योंकि विद्युत मंडल की लापरवाही के कारण कई घरों में अपेक्षा से अधिक बिजली बिल थमा दिए जाते रहे हैं। बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा विद्युत आपूर्ति में लापरवाही की जा रही है जांजगीर चांपा जिले में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के नागरिक को विद्युत अव्यवस्था के कारण भारी परेशानी से जूझना पड़ रहा है जो जहां बार-बार बिजली बंद होने से भारी गर्मी में तड़प तड़प कर दिन व्यतीत करने को मजबूर हैं,तो वही विद्युत मंडल के अधिकारियों द्वारा जनता की समस्याओं को दरकिनार करते हुए विद्युत संधारण के नाम पर हरे भरे पेड़ों को की अवैध कटाई की जा रही है यह पेड़ कहां जा रहा है किसके कहने पर काटा जा रहा है यह भी जांच का विषय है ।
सडक़ किनारे लगे सैकड़ों पेड़ हुए साफ
विदित हो कि वर्तमान समय में जांजगीर उद्यान से लेकर ओवर ब्रिज तक सडक़ चौड़ीकरण किए जाने का कार्य जारी है इस कार्य में उन पेड़ पौधों को भी काट दिया गया है जो विकास कार्य में बाधा नहीं था। बल्कि स्थानीय ठेकेदार तथा विद्युत मंडल के अधिकारी एवं नगर पालिका की मिली भगत से सडक़ सडक़ के किनारे स्थित बरगद, नीम,शीशम, पीपल, गुलमोहर, बबुल सहित काट दी गई है । वर्तमान में उक्त काटे गए पेड़ ना तो नगर पालिका में है और ना ही विद्युत मंडल के कार्यालय में आखिर उक्त सैकड़ो काटे गए पेड़ कहां है यह किसी को नहीं मालूम । जिसका उच्च स्तरीय जांच किया जाना आवश्यक है। ज्ञात हो कि जब कभी किसी किसान को अपने घरों के काम के लिए खुद के जमीन पर स्थित पेड़ को काटने होते हैं तो उन्हें वन विभाग तथा पर्यावरण संरक्षण मंडल का कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं वहीं एसडीएम, तहसीलदार का चक्कर लगाना पड़ता है। परंतु सडक़ चौड़ीकरण के बहाने जो पेड़ों की अवैध कटाई की गई है इसके लिए अनुमति क्यों नहीं लिया गया । ना ही पर्यावरण संरक्षण मंडल को इसकी सूचना दी गई यहां वन विभाग के अधिकारी मूकदर्शक बनकर देखते रहे । परंतु दुख का विषय यह है कि उक्त सभी काटे गए पेड़ कहां गए? इसकी जांच आवश्यक है। इसके लिए पुलिस में अपराध दर्ज करने की जरूरत है इसी कड़ी में यह बताना आवश्यक है कि ड्रीम प्वाइंट होटल के पास स्थित बजाज मोटर्स के पास स्थित जमीन में नीम के दो विशाल पेड़ लगाया गया था उक्त पेड़ सडक़ से दूर एवं छायादार रही है जो सडक़ चौड़ीकरण में बाधा नहीं बन रहा था फिर भी उक्त पेड़ों को काट दिया गया है जिसके लिए विभाग द्वारा कोई अनुमति नहीं दी गई है फिर पेड़ को काटने का मतलब क्या था दोषियों पर अपराध दर्ज होनी चहिए।