नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना कराने की बात कही है। इसे लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक सधा हुआ रुख अपनाते हुए कहा है कि इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। सूत्रों के अनुसार, संघ ने केंद्र सरकार के दशकीय जनगणना के साथ जाति-आधारित गणना करने के फैसले पर आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इस मुद्दे पर अपनी सतर्कता और संवेदनशीलता जाहिर की है। आरएसएस हमेशा से जाति के आधार पर विभाजन और भेदभाव का विरोध करता रहा है। हालांकि, संगठन का मानना है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए कोटा में उप-वर्गीकरण या क्रीमी लेयर जैसी व्यवस्थाओं को लागू करने से पहले सभी हितधारकों के साथ परामर्श और सहमति बनाना जरूरी है। केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल को जातिगत जनगणना का निर्णय लिया है, इससे एक दिन पहले पीएम मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मुलाकात हुई थी, जो इस मुद्दे पर संघ की सहमति की ओर इशारा करता है।