खनिज अधिकारी एवं भाजपा नेताओं के संरक्षण में हो रहा यह अवैध कारोबार

जांजगीर चांपा। जिले में रेत माफियाओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। इसमें खनिज विभाग के अधिकारियों की पूर्णत मिलीभगत नजर आ रही है । जिससे बेखौफ होकर हसदेव नदी के समीप स्थित उदयबंद गांव में रिंकू तिवारी नामक युवक धड़ल्ले से रेत का अवैध उत्खनन कर भारी मात्रा में रेत का भंडारण कर रखा है। इसे पकडऩे की ताकत ना तो कलेक्टर का है और ना ही जिला खनिज अधिकारी को, नतीजा यह है कि यह अवैध उत्खनन एवं भंडारण कर रेत बेचने का कार्य निरन्तर जारी है जिससे शासन को प्रत्येक माह करोड़ों रुपए नुकसान हो रहा है।
यहां यह बताना आवश्यक है कि बलौदा विकासखंड अंतर्गत ग्राम उदयबंद जो कि हसदेव नदी के पास है यहां रिंकू तिवारी नामक (आनंद तिवारी) युवक रात में चोरी छिपे रेत का अवैध उत्खनन कर अपने निजी भमि में भंडारण करता है और इसे महंगे दामों में लोगों को बेचता है। यह कारोबार काफी लंबे समय से चल रहा है। उक्त युवक द्वारा पास से गुजरने वाली नल को पाठ कर अपने उपयोग में लाया जा रहा है जो शासकीय भूमि में बेजाकब्जा कर रखा है। यहां अगर छापा मार करवाई की जाती है तो निश्चित तौर पर हजारों ट्रक रेत मिल सकता है। बताया जाता है कि उक्त व्यक्ति को ओपी चौधरी का संरक्षण प्रदान है जो अधिकारियों को कार्रवाई करने से मन कर रखे हैं ऐसा जन चर्चा में है किंतु शासन की संपत्ति को चोरी छुपे उत्खनन कर बेचना अपराध है। इस बात में अगर जरा भी सच्चाई है की उक्त अवैध कारोबार करने वाले व्यक्ति को किसी मंत्री एवं राजनेताओं का संरक्षण तथा अधिकारियों का वरद हस्त प्रधान है तो फिर कानून का पालन कौन करेगा इसलिए ऐसे अवैध कारोबारी लोगों के यहां छापा मार करवाई किया जना आवश्यक है।
इसी तरह ग्राम बमनीडीह में हजारों ट्रक एवं ट्रैक्टर रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन हो रहा है। यहां कल तक जिनके पास खाने के दाने नहीं थे वे इसी रेत परिवहन एवं उत्खनन के कारोबार से एक एवं दो ट्रैक्टर खरीद रखे हैं जो हसदेव नदी का सीन चीरकर प्रत्येक सीजन में लाखों रुपए का रेत नदी से निकाल कर बेच रहे हैं। बमनिडीह में आज तक खनिज अधिकारियों की हिम्मत नहीं हुई कि वहां जाकर छापा मार करवाई कर सकें। आसपास के रेत घाट के लाइसेंसी ठेकेदार जितनी तादात में रेत नहीं निकाल पा रहे हैं उससे कहीं अधिक अवैध उत्खनन करने वाले लोग बेखौफ होकर रेती का कारोबार कर रहे हैं। यहां दिन हो या रात आवाज गति से रेत का अवैध उत्खनन कर भंडारण करके बेच रहे हैं। ये घटनाएं साबित करती हैं कि रेत माफिया बेखौफ हैं। दरअसल, छत्तीसगढ़ में अवैध रेत खनन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती है। इसकी मुख्य वजह है सख्त नियम का न होना।खनिज के परिवहन या उत्खनन के जो प्रकरण दर्ज होते हैं, उसमें पेनाल्टी वसूली जाती है। पेनाल्टी में खनिज का मूल्य भी शामिल होता है। खनिज का मूल्य और फाइन दोनों जोडक़र वसूली होती है। इसके बाद अवैध खनन करने वालों को खनिज वापस दे दिया जाता है। रेत माफिया इसी लचर नियम का लाभ उठाते हैं और दूसरे ही दिन से फिर उत्खनन करने लगते हैं।
रेत माफियाओं का इतना तगड़ा नेटवर्क है कि कार्रवाई से पहले ही उन्हें इसकी सूचना मिल जाती है। ताकत, पैसा और हथियार से लैस इन माफियाओं को स्थानीय जनप्रतिनिधियों, प्रशासन, पुलिस और रसूखदारों का भी भरपूर संरक्षण मिलता है। वे महानदी,हसदेव, लीलागर, सोननदी,शिवनाथ नदी जैसी ऐतिहासिक नदियों का सीना छलनी कर खनन के हजारों घाव कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ज्यादातर रेत घाटों की नीलामी में देरी से सरकार को खनिज राजस्व की भारी हानि हो रही है।
पिछले पांच साल में सरकार को रेत खनन से पर्याप्त राजस्व म नहीं मिले हैं। कई जिलों में हुई घटना को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके बाद सरकार एक्शन मोड में आ गई हैं। कलेक्टरों को सीधे तौर पर अवैध रेत उत्खनन रोकने की जिम्मेदारी दे दी गई है। अब भी समय है रेत माफियाओं के लिए सख्त नियम बनाया जाए। स्वीकृत खदानों से ही रेत का खनन व परिवहन हो। रेत खदानों की ई-नीलामी के लिए जल्द टेंडर हो।