जांजगीर-चांपा। जिला मुख्यालय जांजगीर में प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष तृतीया को आयोजित होने वाले महाराणा प्रताप जयंती समारोह का आयोजन इस वर्ष गुरूवार 29 मई को मेवाड़ी परम्परा के प्रतिपालन में भारतीय संस्कृति के अनुरूप समग्र राजपूत क्षत्रियों की सहभागिता से मनाया जाएगा। सर्व विदित है भारत का गौरवशाली इतिहास स्वर्णाक्षरों में अंकित जीवनपर्यंत इस वाक्य में वर्णित श्रेष्ठ गुणों को धारण किया। वास्तव में शोर्य क्या है? अपने लिए लडऩा ? अपने अधिकारों के लिए हर कोई लड़ सकता है परंतु मातृभूमि के लिए लडऩा ही शोर्य है। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष तृतीया इस वर्ष 29 मई को जिला मुख्यालय जांजगीर नैला में प्रति वर्ष की भांति पूरी श्रद्धा एवं राष्ट्रीय भावनाओं के साथ जोश एवं उत्साह के साथ महाराणा प्रताप जयंती समारोह का आयोजन किया जा रहा है। महाराणा प्रताप सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा के साथ ही उनके कुल को मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के वंशज होने का गौरव प्राप्त है। क्षत्रिय परिवार के वरिष्ठ सदस्य देवेश कुमार सिंह बताते हैं कि, महाराणा प्रताप सिंह का नाम सुनते ही धमनियों में शौर्य और पराक्रम का रक्त प्रवाहित होने लगता है, मस्तक गर्व एवं स्वाभिमान से ऊंचा हो उठता है, जब भारतवर्ष पर आक्रांताओं का निरंतर आक्रमण हो रहा था और वे अपना राज्य विस्तार करने में सफल भी हो रहे थे, आबू, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, मालवा आदि शक्तिशाली राजे राजवाड़े अकबर का आधिपत्य स्वीकार कर चुके थे ऐसे में महाराणा प्रताप सिंह ही थे, जो अपने शोर्य पर अटल थे उनके नाम मात्र से ही विधर्मी अकबर एवं उसकी सेना थर्रा उठती थी। हम समस्त राष्ट्र प्रेमी भारत वंशियों को आव्हान करते हैं महाराणा प्रताप जयंती समारोह का वृहद आयोजन जिला मुख्यालय जांजगीर नैला में समग्र रूप से आयोजित होता है जिसमें महाराणा प्रताप सिंह के बलिदानों एवं योगदानों के प्रति कृतज्ञता भाव से श्रद्धा सुमन अर्पित करने हेतु अपील महाराणा प्रताप जयंती समारोह आयोजन समिति जांजगीर-चांपा ने किया है।