न्यूयॉर्क, २६ मई।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि अब पाकिस्तान में कोई व्यक्ति यह मानकर नहीं बैठ सकता कि वे सीमा पार करके आएंगे, भारतीय नागरिकों की हत्या करेंगे और उन्हें कोई दंड नहीं मिलेगा। अब उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी और यह कीमत व्यवस्थित तरीके से बढ़ रही है। पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब यह नया मानदंड बनने जा रहा है। इस ऑपरेशन से भारत ने स्पष्ट व सख्त संदेश दिया है कि आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेंगे और इसका जवाब दिया जाएगा।थरूर गुयाना, पनामा, कोलंबिया, ब्राजील और अमेरिका में विभिन्न दलों के भारतीय सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। यह दल आतंकवाद के विरुद्ध भारत के संकल्प को व्यक्त और पाकिस्तान के आतंकवाद के साथ संबंधों को उजागर कर रहा है। साथ ही इस बात पर जोर दे रहा है कि पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष पहलगाम आतंकी हमले के कारण शुरू हुआ था, न कि ऑपरेशन सिंदूर के कारण, जैसा पाकिस्तान ने आरोप लगाया है।उल्लेखनीय है कि शशि थरूर कांग्रेस के नेता हैं और जब उन्हें इस प्रतिनिधिमंडल का अध्यक्ष बनाया गया था तो उनकी पार्टी ने कड़ा विरोध किया था। इसके बावजूद वह न केवल प्रतिनिधिमंडल की अगुआई कर रहे हैं, बल्कि भारत का पक्ष भी बहुत दमदार तरीके से रख रहे हैं। न्यूयार्क में भारतीय महावाणिज्य दूतावास द्वारा भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रमुख सदस्यों और प्रमुख मीडिया व थिंक टैंक के लोगों के एक समूह के साथ शनिवार को आयोजित बातचीत में थरूर ने कहा कि भारत का पाकिस्तान को संदेश स्पष्ट है, हम कुछ भी शुरू नहीं करना चाहते थे। हम सिर्फ आतंकियों को एक संदेश दे रहे थे। उन्होंने पाकिस्तान को लेकर कहा कि आपने शुरू किया, हमने जवाब दिया। अगर आप रुक गए, तो हम रुक गए। और वे रुक गए। 88 घंटे का युद्ध हुआ।
हम उसे बहुत निराशा से देखते हैं क्योंकि यह बिल्कुल नहीं होना चाहिए था। जानें चली गईं। लेकिन साथ ही हम इस अनुभव को दृढ़ संकल्प की नई भावना के साथ देखते हैं। थरूर ने 22 अप्रैल को पहलगाम में धर्म पूछकर किए गए भयावह आतंकी हमले के बारे में विस्तार से बात की। साथ ही 26/11 मुंबई हमलों से लेकर उड़ी और पुलवामा में हुए विभिन्न आतंकी हमलों का जिक्र किया जिन्हें पाकिस्तानी आतंकी संगठनों ने अंजाम दिया। थरूर ने कहा कि भारत ने अपने कुछ पड़ोसियों से बहुत अलग नैरेटिव पर ध्यान केंद्रित किया है।उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से हमारा ध्यान दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते मुक्त बाजार लोकतंत्र बनने, अपनी अर्थव्यवस्था के विकास पर ध्यान केंद्रित करने, प्रौद्योगिकी व तकनीकी विकास पर बेहद जोर देने और बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने पर रहा है।उन्होंने कहा कि भारत की पाकिस्तान के साथ युद्ध में दिलचस्पी नहीं है। हम अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और अपने लोगों को 21वीं सदी की दुनिया में भेजने के लिए अकेले रहना पसंद करेंगे। पाकिस्तानियों के पास जो कुछ भी है, उसे पाने की हमारी कोई इच्छा नहीं है। वे भारत के नियंत्रण वाला क्षेत्र चाहते हैं और वे इसे किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहते हैं। वे इसे पारंपरिक तरीकों से हासिल नहीं कर सकते, इसलिए आतंकवाद के जरिये हासिल करने को तैयार हैं। यह हमें स्वीकार्य नहीं है और यही संदेश हम इस देश और अन्य जगहों पर आप सभी को देने के लिए यहां आए हैं। भारत का निश्चित रूप से मानना है कि अब इसकी नई अंतिम सीमा होनी चाहिए।कांग्रेस सांसद ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अंतरराष्ट्रीय डोजियर देने, प्रतिबंध समिति से शिकायत करने और कूटनीति से लेकर हर तरह की कोशिश की है।
पाकिस्तान इनकार करता रहा। आतंकियों को दोषी सिद्ध नहीं किया गया, उन पर कोई मुकदमा नहीं चलाया, आतंकी ढांचे को खत्म करने का कोई प्रयास नहीं किया गया और उनके लिए सुरक्षित पनाहगाह मौजूद रहीं। हमारे दृष्टिकोण है कि आप जैसा करेंगे वैसा भरेंगे। हमने इस आपरेशन से प्रदर्शित किया है कि हम इसे सटीकता एवं संयम से कर सकते और उम्मीद है कि दुनिया इसे समझेगी। हमने आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग किया है। थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में सरफराज अहमद (झामुमो), गंटी हरीश मधुर बालयोगी (तेदेपा), शशांक मणि त्रिपाठी (भाजपा), भुवनेश्वर कलिता (भाजपा), मिङ्क्षलद देवड़ा (शिवसेना), तेजस्वी सूर्या (भाजपा) और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू शामिल हैं। प्रतिनिधिमंडल शनिवार को न्यूयार्क पहुंचा और यहां से गुयाना, पनामा, कोलंबिया व ब्राजील जाएगा। यह तीन जून को अमेरिका लौटेगा। इन देशों में गुयाना, पनामा और अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य हैं।थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने यहां 9/11 स्मारक का दौरा किया और आतंकी हमलों के पीडि़तों को श्रद्धांजलि भी दी। थरूर ने कहा कि 9/11 स्मारक का दौरा एकजुटता की भावना से किया गया। साथ ही कहा कि अमेरिका के विपरीत भारत को बहुत अधिक संख्या में आतंकी हमलों का सामना करना पड़ा है।
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