
जांजगीर। पामगढ़ विकासखंड के बनारी में तिवारी परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के छठवें दिन व्यासपीठ से व्यास आचार्य पंडित मनोज पांडेय ने भक्तों को भगवान शिव-पार्वती विवाह और गणेश-कुमार कार्तिकेय के जन्म की दिव्य कथा से भाव-विभोर कर दिया।
आचार्य पांडेय ने कहा कि शिवजी परब्रह्म स्वरूप हैं। सनातन धर्म में एकेश्वरवाद की परंपरा है, जिसमें ब्रह्म एक ही है, परंतु उसकी पांच शक्तियां विष्णु, सूर्य, शक्ति, गणेश और शिव सगुण रूप में प्रकट होती हैं।ये सभी शक्तियां सृष्टि के संचालन में समर्थ हैं। भगवान शिव का परिवार अत्यंत विलक्षण है, जिसमें ब्रह्म के छह स्वरूपों में से चार स्वरूप—शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय एक ही परिवार में समाहित हैं।
कथा में उन्होंने गणेश और कार्तिकेय की परिक्रमा प्रतियोगिता की कथा सुनाते हुए बताया कि भगवान शिव ने शर्त रखी कि, जो पहले पृथ्वी की परिक्रमा कर लौटेगा, उसी का विवाह पहले होगा। भगवान कार्तिकेय तुरंत अपने वाहन मयूर पर सवार होकर निकल पड़े, जबकि भगवान ने माता-पिता को एक शिला पर बिठाकर उनकी सात परिक्रमा की और कहा, कि माता-पिता की परिक्रमा करना पूरी पृथ्वी की परिक्रमा के बराबर है। उनकी श्रद्धा और समझदारी से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गणेश का विवाह पहले करवा दिया। आचार्य पांडेय ने श्रोताओं से कहा कि माता-पिता ही घर के प्रत्यक्ष देवता हैं। यदि वे दुखी या उपेक्षित हैं तो कोई भी धार्मिक कार्य या तीर्थयात्रा फलदायी नहीं होती।
इसलिए हमें अपने माता-पिता की सेवा को सर्वोपरि रखना चाहिए। इस मौके पर मुकेश मां आशा कृष्णकांत सहित तिवारी परिवार के जगदीश, विजय, सत्यप्रकाश, राकेश, रमाकांत, कमलकांत, दीपक तिवारी, माधव प्रसाद पाण्डेय, लक्ष्मीकांत पाण्डेय, मनमोहन दुबे, रामेश्वर साव सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।