जम्मू, 06 जुलाई ।
शक्ति-भक्ति, उत्सव और उत्साह की प्रतीक श्री अमरनाथ यात्रा से जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को लगभग 400 करोड़ का बूस्टर डोज मिलने जा रहा है।यही नहीं, पहलगाम आतंकी हमले के बाद पटरी से उतरे कश्मीर के पर्यटन के लिए भी यह यात्रा वरदान साबित हो रही है। यात्रा के शुरुआती तीन दिन में ही करीब 48 हजार श्रद्धालु पवित्र गुफा के दर्शन कर चुके हैं और यात्रियों के उत्साह को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि 38 दिन चलने वाली यात्रा में लगभग चार लाख शिवभक्त दर्शन करने आएंगे। इस यात्रा से सबसे अधिक घोड़े-पालकी, टेंट वाले, छोटे दुकानदार और टैक्सी वाले लाभान्त हो रहे हैं। यानी पैसा सीधा आम आदमी की जेब में जाएगा। यही वर्ग पहलगाम आतंकी हमले के बाद पर्यटकों के न आने से सबसे अधिक प्रभावित भी हुआ है। जम्मू-कश्मीर विशेषकर घाटी में होटल, ट्रांसपोर्ट, दुकानदार, व्यापारी और पर्यटन स्थलों पर काम करने वाले छोटे-छोटे दुकानदार श्री अमरनाथ यात्रा से ही आस लगाए बैठे थे। जम्मू में आधार शिविर यात्री निवास हो या बालटाल व पहलगाम में आधार शिविरों के आसपास गर्म कपड़े, बरसाती, छाते, बैग समेत यात्रा में काम आने वाली वस्तुएं बेचले वाले छोटे दुकानदार, सभी खुश हैं।श्री अमरनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु जम्मू-कश्मीर के प्रवेश द्वार लखनपुर से आगे कठुआ, सांबा, जम्मू, ऊधमपुर, रामबन से होते हुए श्रीनगर, अनंतनाग, गांदरबल जिला से होकर गुजरते हैं। इससे स्थानीय व्यापार को लाभ मिलता है। जम्मू में पंजीकरण तिथि से पहले आ गए यात्री या पंजीकरण कराने के इंतजार में रुके श्रद्धालु खाली समय में जम्मू में रघुनाथ मंदिर, श्री माता वैष्णो देवी व अन्य धार्मिक पर्यटन स्थलों का भी रुख कर रहे हैं। श्रद्धालु अपनी जरूरत के अनुसार छोटी-मोटी खरीदारी भी कर रहे हैं। कई यात्रा के बाद कश्मीर में भी घूम रहे हैं। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी लगातार देशभर से श्रद्धालुओं को यात्रा पर आने की अपील कर रहे हैं।
इसका असर भी यात्रा में दिख रहा है। बालटाल रूट में आठ साल से यात्रा के दौरान पि_ू का काम करने वाले अल्ताफ अहमद ने कहा, हमें यात्रा का इंतजार रहता है। हम खेती-बाड़ी करते हैं और यात्रा के दौरान करीब 70-80 हजार रुपये कमा लेते हैं। इससे हमारे चार-पांच महीने निकल जाते हैं। हमारे कुछ लोग बालटाल व पहलगाम में दुकानें लगाकर रोजगार कमा रहे हैं। यात्रा में अगर चार लाख श्रद्धालु आते हैं तो औसतन एक यात्री कम से कम 10 हजार रुपये खर्च करता है। इसमें जम्मू से कश्मीर तक बस या टैंपों का किराया। यात्रा मार्ग पर टेंट में रहना, घोड़ा, पि_ू या पालकी की सेवा लेना शामिल है। श्रद्धालु बरसाती, जैकेट, गर्म टोपी, मौजे, खाने-पाने का सामान, प्रसाद आदि खरीदते हैं।
कुछ श्रद्धालु यात्रा से पहले या बाद में जम्मू व कश्मीर में घूमते हैं। इससे आने वाला पैसा अर्थव्यवस्था मजबूत करता है। चैंबर जम्मू चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के प्रधान अरुण गुप्ता ने कहा कि श्री अमरनाथ यात्रा से हमारे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बल मिलता है। इसका लाभ स्थानीय दुकानदारों, पर्यटन से संबंधित लोगों, घोड़े-पि_ू वालों को होता है। इस बार भी हमें उम्मीद है कि यात्रा यहां की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ होगी।