लखनऊ। पारा चढऩे के साथ ही राज्य में बिजली की मांग में भी बेहताशा बढ़ोतरी होती जा रही है। गर्मी के इस मौसम में पहली बार मंगलवार को बिजली की मांग 29,873 मेगावाट तक पहुंच गई। जिस तरह से गर्मी बढ़ रही है, उससे अबकी बिजली की मांग के 33 हजार मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।भीषण गर्मी में प्रदेशवासियों को तय शेड्यूल के अनुसार बिजली आपूर्ति करने के लिए पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने पर्याप्त बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने का दावा किया है। इस बीच प्रबंधन ने एक बार फिर गांवों में कृषि कार्य के लिए लगातार 10 घंटे बिजली आपूर्ति करने का निर्णय किया है।इससे किसानों को खासतौर से सिंचाई के लिए 10 घंटे बिजली उपलब्ध रहेगी। चिलचिलाती गर्मी के चलते एसी व ट्यूबवेल के बढ़ते लोड से बिजली की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। पहली मई को जहां बिजली की अधिकतम मांग 25,837 मेगावाट थी, वहीं 10 मई को मांग 27,006 मेगावाट पहुंच गई। 12 मई को मांग 28 हजार मेगावाट पार कर गई और 18 मई तक मांग 29 हजार मेगावाट से भी ज्यादा हो गई है।गर्मी के इस मौसम में पहली बार मंगलवार रात साढ़े नौ बजे बिजली की मांग सर्वाधिक 29,873 मेगावाट पहुंच गई।
सुबह साढ़े सात बजे भी बिजली की मांग 19,005 मेगावाट रही। जानकारों का मानना है कि इस बार बिजली की मांग 33 हजार मेगावाट तक पहुंच सकती है।गौरतलब है कि पिछले वर्ष जुलाई में उमस भरी गर्मी के चलते बिजली की अधिकतम 30,732 मेगावाट रही थी। पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल का कहना है कि भीषण गर्मी में प्रदेशवासियों को तय शेड्यूल के अनुसार बिजली आपूर्ति के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं। पर्याप्त बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। गोयल ने बताया कि कृषि कार्य के लिए एक बार फिर कृषि फीडर से लगातार 10 घंटे बिजली आपूर्ति करने के निर्देश दिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि गेहूं आदि की फसल को आग से बचाने के लिए मार्च में दोपहर के वक्त बिजली आपूर्ति न करने का निर्णय किया गया था। ऐसे में एक साथ सात घंटे और तीन घंटे बिजली कृषि फीडर के माध्यम से आपूर्ति की जा रही थी। 10 घंटे लगातार बिजली देने के लिए प्रदेश को आठ हिस्से में बांटते हुए दिन में ही सुबह सात बजे से देर शाम 6.45 बजे के दरमियान बिजली आपूर्ति का शेड्यूल जारी किया गया हैं।