
जांजगीर-चांपा। जांजगीर चांपा जिला कृषि प्रधान जिला है जहां हसदेव बांगो परियोजना के माध्यम से लगभग 80 प्रतिशत भूमि सिंचाई होता है जिसके माध्यम से किसान धान की उपज पैदा कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं किंतु इन किसानों के द्वारा सिंचाई कर पटाने में जरा भी रुचि नहीं है जिसके कारण करोड़ों रुपए शासन का बेकार चला जा रहा है।
ज्ञात हो कि हसदेव नदी पर बांगो बांध बनाया गया है यह बांध बहुद्देशीय है जिसके पानी से जहां अनेक विद्युत संयंत्र संचालित हो रही हैं जिनमें विद्युत उत्पादन हो रहा है तो वही बांगो बांध के पानी से हसदेव बांगो परियोजना का संचालन भी हो रहा है जिसके माध्यम से दाईं तट एवं बाई तट नहर से किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इस परियोजना के संचालन के बाद से ही किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होते चली आ रही है विशेष कर जांजगीर-चांपा जिला एवं सक्ती सहित कोरबा जिले के किसानों के लिए यह एक जीवन दायिनी है किंतु दुख का विषय यह है कि जिस नहर के पानी से किसान एक एकड़ में 30 से 35 बोरा धान उगाकर उपज ले रहे हैं उन्हीं किसानों द्वारा सिंचाई कर का भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा है।
यहां यह बताना आवश्यक है कि रवि फसल के लिए शासन ने 200 प्रति एकड़ तथा खरीफ फसल के लिए 90 रुपए प्रति एकड़ सिंचाई कर तय कर रखी है ताकि किसान आसानी से सिंचाई कर पटा सके। परंतु यह भी महत्वपूर्ण योजना राजनीति का शिकार होने लगी है। क्योंकि इसमें से केवल 20 प्रतिशत किसान ही सिंचाई कर समय पर पटाते हैं और 80 प्रतिशत किसान सिंचाई कर पटाने मे रुचि नहीं लेते हैं।
वोट बैंक की राजनीति में किसान वर्ग सिंचाई कर नहीं पटाते और सरकार सिंचाई कर को भी छूट कर देती है ऐसे में नहरों का मरम्मत कर पाना विभाग के लिए टेढ़ी कार्य है। सिंचाई कर पटाने के लिए जो 20 प्रतिशत किसान राशि जमा करते हैं वे भी अब अन्य किसानों की देखा देखी राशि पटाने मे हिला हवाला कर रहे हैं क्योंकि वे खुद सिंचाई कर पटाने के बाद सिंचाई कर माफ हो जाने सगे ठगे से महसूस करने लगते हैं। इस कारण से इनकी भी अब कम होने लगी है। सरकार को चाहिए कि सिंचाई कर माफ करने की बजाय किसानों को और अधिक सुविधा जमीनी स्तर देनी चाहिए। क्योंकि महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना का महत्व किसानों को भी समझ में आनी चाहिए।