
जांजगीर। शहर में कई बार खराब पानी सप्लाई होने के कारण वार्डों में स्वास्थ्य खराब होने की शिकायतें सामने आती हैं। गर्मी के दिनों में यह समस्या ज्यादा होती है। दूषित पानी के कारण स्वास्थ्य खराब होता है। इसे रोकने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग ने नगर पालिका और नगर पंचायत के सीएमओ को पत्र जारी किया है।
जांच में पानी का नमूना यदि दूषित पाया जाता है तो उसमें ब्लीचिंग पाउडर का घोल या लिक्विड सोडियम हाइपरक्लोराइड डालकर उसे जीवाणु रहित किया जाएगा। 7 दिन बाद फिर से उसका परीक्षण किया जाएगा। यदि फिर से जल नमूना दूषित पाया जाता है तो जल नमूना विस्तृत जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाए तथा जल परीक्षण प्रतिवेदन प्राप्त होने तक स्त्रोत को बंद रखा जाएगा।
विभाग ने शहर के हैंडपंप और बोर में 15 जून से पहले साफ-सफाई कराने को कहा है। नगर में पानी सप्लाई के लिए लगाई गई पानी टंकी दो बार सफाई कराने और सफाई की तिथि टंकी के कॉलम में लिखने को कहा है। बिछाई गई पाइप लाइन में यदि लीकेज या टूट-फूट होती है तो तत्काल उसका सुधार करने को कहा गया है। खासकर सार्वजनिक नल और हैंडपंपों के आसपास पर्याप्त सफाई करवाने के निर्देश दिए हैं। डेंगू मलेरिया की रोकथाम के लिए खाली जगह में जमा पानी, कूलर, पानी की टंकी, बर्तन, फ्रिज के ट्रे, टायर तथा अन्य किसी वस्तुओं में पानी का जमाव रोकने के निर्देश दिए हैं।
किट से पानी की जांच करने को कहा बोर और हैंडपंप से निकलने वाले पानी की स्थिति जांच करने के लिए एचसी किट का उपयोग करने को कहा है। किट में पानी का सैंपल लेकर 24 घंटे उसे रखने के बाद यदि पानी काला हो जाए तो उसकी सफाई करवाने को कहा गया है। जल स्रोतों (नलकूपों) का नमूना यदि दूषित पाया जाता है तो उसमें ब्लीचिंग पाउडर का घोल या लिक्विड सोडियम हाइपरक्लोराइड डाला जाएगा।
रिकॉर्ड रजिस्टर में हर दिन की जांच दर्ज करेंगे मलिन बस्ती में पानी सप्लाई को लेकर एक रजिस्टर तैयार किया जाएगा, जिसमें पानी का सैंपल लेने का दिनांक एवं समय, सैंपल लेने वाले का नाम और सैंपल में रेसीड्यूवल क्लोरीन की मात्रा तथा कॉलीफार्म बैक्टीरिया की उपस्थिति की जांच का परिणाम अंकित किया जाएगा। पेयजल में रेसीड्यूवल क्लोरीन न मिलने पर अथवा कॉलीफार्म बैक्टीरिया मिलने पर तत्काल लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निराकरण करेंगे।