जांजगीर। जिले में होने वाली शादी समारोह में किसी कम उम्र के युवक-युवतियों के परिजन फेरा न करा दें इस दिशा में हर साल सख्ती बरती जाती है। इसके बाद परिजन किसी न किसी मजबूरी में या जानबूझकर अपने बच्चों की शादी समय से पहले करने तैयार हो जाते हैं।
सीजन में बाल विवाह के मामले सामने आते रहते है। प्रशासन द्वारा कई बार ऐसी शादियां रुकवाई जाती है, वहीं बाल विवाह करने, करवाने अथवा प्रोत्साहन देने वाले व्यक्ति जिसमें पंडित, नाई, बाराती बैंड बाजे वाला, हलवाई, टेंट वाला और स्थान उपलब्ध कराने वाला अथवा ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसकी जानकारी के बावजूद भी बाल विवाह करवाया जा रहा है उसे अब दोषी मनाया जाएगा। बाल विवाह करने अथवा करवाने वाले को दो वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि एक लाख रुपए तक हो सकता है अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।
बाल विवाह के मामलों में नहीं आ रही कमी ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह शहरों की तुलना में ज्यादा है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की पांचवीं रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले में बाल विवाह की वजह से यहां की 3.5 प्रतिशत किशोरियां 15-19 की उम्र में ही मां बन गई थी। इसके साथ ही सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 10.2प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 से कम उम्र में हुई है। जांजगीर-चांपा जिले में रिपोर्ट मुताबिक बाल विवाह के मामले 5 साल में कुछ खास अंतर नही हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे साल 2015-16 की रिपोर्ट पर 3.8 प्रतिशत किशोरियां 15 की उम्र में ही मां बन गई थी।