नई दिल्ली। भारत आतंकवाद को बिल्कुल भी बर्दाश्त न करने की नीति पर चल रहा है और आगे भी इसी पर चलेगा। विश्व के सामने आतंकवाद वैसी ही बड़ी समस्या है जैसी वातावरण में हो रहा बदलाव और तेजी से बढ़ रही गरीबी है। भारत परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर ब्लैकमेल की कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेगा। इतना ही नहीं भारत पाकिस्तान के साथ अपने मसले द्विपक्षीय ही रखेगा, इसे लेकर किसी को गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश मंत्री जयशंकर ने जर्मन समकक्ष जोहान वाडेफुल के साथ बर्लिन में संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस में कही। जयशंकर ने कहा, पाकिस्तान भारत की जम्मू-कश्मीर से लगने वाली सीमा का 1947 से लगातार उल्लंघन कर रहा है। यह सिलसिला लगभग आठ दशकों से चल रहा है भले ही पाकिस्तान में सैन्य सरकार रही हो या लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार। पाकिस्तान ने आतंकवाद को भारत के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। भारत ने दशकों तक संयम बरतने के बाद ऑपरेशन सिंदूर के जरिये आतंकवाद को मजबूती से जवाब दिया है। यह अभी स्थगित हुआ है, खत्म नहीं हुआ। इससे पहले डेनमार्क के अखबार पोलिटीकेन को दिए इंटरव्यू में जयशंकर ने पाकिस्तान में सैन्य शासन और लोकतंत्र को कमजोर करने का जितना समर्थन पश्चिमी देशों ने किया उतना किसी अन्य ने नहीं किया। पश्चिमी देशों का यह रुख लंबे समय तक कायम रहा। विदेश मंत्री ने कहा, पश्चिमी देशों ने पाकिस्तान में लगभग आधे समय रही सैन्य तानाशाही का भी उसी तरह से समर्थन किया जैसे कि वे चुनी हुई सरकार को करते हैं। यह सब यूरोप के लोकतांत्रिक देशों में होता रहा। इससे पाकिस्तान में सेना का प्रभाव बढ़ता गया और वह चुनावों में जीते नेताओं पर भारी पड़ती रही।
जयशंकर ने यह बात यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत के रूस के समर्थन के सवाल पर कही। इंटरव्यू में सवाल को रूस से भारत की तेल खरीद को यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई के समर्थन के तौर पर पूछा गया था। विदेश मंत्री इस समय नीदरलैंड्स, डेनमार्क और जर्मनी के दौरे पर हैं।