इंफाल। मणिपुर में हिंसा के कारण विस्थापित हुए हजारों लोग अब भी घर वापसी के इंतजार में हैं। उन्हें राहत शिविरों में रहना पड़ रहा है। दो वर्ष पहले मणिपुर में हुए जातीय संघर्ष का विनाशकारी प्रभाव वे अभी भी महसूस कर रहे हैं।

70 हजार से अधिक लोग विस्थापित

गौरतलब है कि तीन मई 2023 को मैतेयी और कुकी-जो समुदाय में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 260 से अधिक लोग मारे गए, 1,500 घायल हुए और 70 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।

शनिवार को राज्यव्यापी बंद

वहीं मणिपुर में जातीय संघर्ष के दो वर्ष पूरे होने पर शनिवार को राज्यव्यापी बंद रखा गया। बंद से पूरे राज्य में जनजीवन ठप हो गया।

मैतेयी ग्रुप कार्डिनेटिंग कमेटी आन मणिपुर इंटीग्रिटी (सीओसीओएमआइ) ने घाटी के जिलों में बंद का आह्वान किया था, जबकि जोमी स्टूडेंट्स फेडरेशन (जेडएसएफ) और कुकी स्टूडेंट्स आर्गनाइजेशन (केएसओ) ने पहाड़ी जिलों में बंद रखा।

सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद रहे

पूरे राज्य में बाजार बंद रहे, सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद रहे और निजी कार्यालय बंद रहे। स्कूल, कालेज और अन्य संस्थान भी बंद कर दिए गए। प्रमुख स्थानों पर सुरक्षा बलों को भी तैनात किया गया। इंफाल में सीओसीओएमआइ ने एक सम्मेलन में प्रस्ताव पारित कर शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए केंद्र सरकार से तत्काल और समयबद्ध रोडमैप तैयार करने की मांग की, वहीं चूड़चंदपुर में, हजारों कुकी- जो समुदाय के लोग तुइबुओंग में ‘ वाल आफ रीमेंमेरेंस’ पर एकत्रित हुए और अलग प्रशासन की मांग की।