
सार्वजनिक आयोजन के दौरान मुसीबत
कोरबा। नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन का राखड़ डेम अब स्थानीय ग्रामीणों के लिए जीवन का अभिशाप बन गया है। यह डेम अब लोगों के लिए जहरीली हवा, बर्बाद फसलें और उजड़े घरों का कारण बन चुका है। लोतलोता गांव में सूरज कुमार यादव के घर शादी का माहौल आंधी के साथ राख का तूफान, जिसने पंडाल को उजाड़ दिया। चावल, सब्जी, मिठाइयाँ सब राख से ढक गए। सूरज की बहन संध्या यादव बताती हैं। अचानक ऐसा लगा जैसे आसमान से राख की बारिश हो रही हो। सारे मेहमान भागने लगे। यह शादी हमारे लिए एक डरावना सपना बन गई
प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने जांच की बात जरूर कही है, लेकिन स्थानीय लोगों को इसमें बहुत भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं है जब समस्या उठाई गई हो, पर हर बार केवल ‘जांच’ और ‘कार्यवाही की तैयारी’ का आश्वासन मिलता है। राखड़ डेम के लिए कड़े पर्यावरणीय दिशा-निर्देश मौजूद हैं। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि बिजली उत्पादन के दबाव में इन नियमों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। अधिकारी मौन हैं और प्रबंधन निष्क्रिय।प्रभावित ग्रामीण सरकार और संबंधित एजेंसियों से सवाल कर रहे हैं क्या हमारी जि़ंदगी की कोई कीमत नहीं है? क्या बिजली के लिए हम ज़हर फाँकते रहेंगे?
वायु प्रदूषण की बात स्वीकारी पर्यावरण विभाग ने
पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारी परमेंद्र पांडे ने बताया कि एनटपीसी के धनरास स्थित राखड़ डेम से कम से कम आठ गांव बुरी तरह प्रभावित हैं, जिनमें लोतलोता, धनरास और छुरी खुर्द प्रमुख हैं। गर्मियों में समस्या विकराल रूप ले लेती है, जब हल्की सी हवा भी राख को आसमान में उड़ा देती है और पूरा इलाका धुएँ और राख के गुबार में डूब जाता है। राख का असर केवल कार्यक्रमों तक सीमित नहीं है। ग्रामीणों के खेत राख से भर चुके हैं, जिससे फसलों की उत्पादकता प्रभावित हो रही है। पशुओं के चारे में राख मिल जाती है, जिससे वे बीमार हो रहे हैं। कई बच्चों को साँस की बीमारी और त्वचा में एलर्जी की शिकायतें हो रही हैं।