राजौरी। पाकिस्तान और उसकी सेना पर कभी यकीन नहीं किया जा सकता, यह सीमावर्ती ग्रामीण भी बहुत अच्छी तरह जानते हैं। इसलिए पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव को देखते हुए राजौरी और पुंछ जिलों में एलओसी के पास रहने वाले लोगों ने भी अपनी और परिवार की सुरक्षा की तैयारी शुरू कर दी है। सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने बंकरों की साफ-सफाई शुरू कर दी है। कई बंकरों को साफ कर उनमें अपनी जरूरत का सामान भी रख दिया है। इनमें सोने के लिए बेड के साथ ही पंखे भी लगा दिए गए हैं। अगर एलओसी पर गोलाबारी शुरू होती है तो ग्रामीण अपने परिवार के सदस्यों के साथ बंकरों में शरण लेकर जान बचा सकेंगे। जम्मू संभाग के राजौरी और पुंछ जिलों में 223 किलोमीटर एलओसी है।
राजौरी के झंगड़ गांव के निवासी सुनील कुमार बताते हैं कि जब भी एलओसी पर गोलाबारी हुई है तो सबसे अधिक नुकसान ग्रामीणों को ही उठाना पड़ा है। गृह मंत्रालय के आदेश के बाद गांव में हर घर और स्कूलों में भी बंकर बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले के बाद से एलओसी पर तनाव बना हुआ है। इसी खतरे को देखते हुए हमने अपने बंकरों को साफ करके जरूरत का सामान रख दिया है। भवानी गांव के निवासी पुरुषोत्तम लाल ने बताया कि पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी में हमारे गांव के कई लोग मारे जा चुके हैं और कई मकान व स्कूल पूरी तरह से तबाह हो गए थे। उन्होंने बताया कि हमें अपनी सुरक्षा के लिए बंकर मिले हुए हैं।
हमने इन बंकरों को साफ करके अपना सामान इनके अंदर रख दिया है। अगर रात को भी गोलाबारी शुरू होगी तो हम इन बंकरों के अंदर शरण ले सकते हैं। बैंकरों के अंदर हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है। वहीं प्रशासन ने भी अपने स्तर पर बंकरों का निरीक्षण करने का कार्य शुरू कर दिया है, ताकि जरूरत के समय लोग इन बंकरों में शरण लेकर अपनी जान की रक्षा कर सकें।
राजौरी जिले में कुछ वर्ष पहले सरकार की ओर से सीमांत क्षेत्रों के लोगों के लिए व्यक्तिगत एवं सामुदायिक बंकरों का निर्माण करवाया गया था, ताकि पाकिस्तानी सेना द्वारा की जाने वाली गोलाबारी के समय लोग उसमें शरण ले सकें।