
विधायक की प्रतिष्ठता लगी है दांव पर
कोरबा। नगर पालिका परिषद कटघोरा में इस बार बेहद का मुकाबला होता नजर आ रहा है। कांग्रेस ने राज जायसवाल को अपना प्रत्याशी अध्यक्ष पद के लिए खड़ा किया है। जबकि भाजपा से पूर्व उपाध्यक्ष आत्मा नारायण पटेल अध्यक्ष उम्मीदवार हैं। सभी प्रकार के सर्वेक्षण के बाद भाजपा के द्वारा प्रत्याशी चयन में बदलाव किया जाना अब उसके लिए मुसीबत बना हुआ है। स्थिति ऐसी है कि चुनाव के चक्कर में कटघोरा क्षेत्र के विधायक प्रेमचंद पटेल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
कोरबा जिले की पुरानी नगर पालिका में शामिल कटघोरा में इस बार अध्यक्ष का पद पिछला वर्ग पुरुष के लिए आरक्षित किया गया है। पांच से अधिक उम्मीदवार इस पद पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं लेकिन मुख्य मुकाबला की स्थिति में कांग्रेस के युवा प्रत्याशी राज जायसवाल और भाजपा से आत्मा नारायण पटेल मैदान में है। प्रमुख राजनीतिक दल से प्रत्याशी होने के कारण इन दोनों को केडरबोट मिलने की पूरी गारंटी बनी हुई है। इस बार के चुनाव में यहां पर कई कारण से समीकरण बदले बदले नजर आ रहे हैं लेकिन प्रत्याशियों ने अपने स्तर पर मुकाबले को बेहद कड़ा और रोमांचक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भरपूर संसाधन के साथ प्रचार प्रसार सामग्री का उपयोग करने से लेकर हर वार्ड में लोगों तक पहुंचाने और उनके समक्ष नगरी क्षेत्र के विकास को लेकर बड़े-बड़े दावे करने में वे पीछे नहीं है। कांग्रेस से अध्यक्ष पद के लिए कई चेहरे दावेदार थे लेकिन काफी कुछ सोच समझकर पार्टी ने यहां राज जायसवाल को उम्मीदवार घोषित किया जो उसके लिए तुरुप का पत्ता साबित हो रहे हैं। जबकि भाजपा ने पटेल समुदाय से आने वाले किसान नेता आत्मा पटेल को उम्मीदवार बनाया है। सूत्रों का कहना है यहां पर सबसे सशक्त उम्मीदवार वीरेंद्र जायसवाल हो सकते थे और इस बारे में सब कुछ तय हो गया था लेकिन एन समय पर महत्वाकांक्षा और दबाव के चक्कर में प्रत्याशी बदल दिया गया। इस मामले में स्थानीय विधायक की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। भाजपा ने जिस प्रत्याशी बनाया है उसे चुनाव में जिताने की जिम्मेदारी विधायक के कंधे पर आ गई है। दूसरी और भाजपा के ही कुछ लोगों ने इस चुनाव में दिलचस्पी लेना पूरी तरह से बंद कर दिया है ताकि वे बदला निकाल सके।
आर्थिक संसाधन रखते हैं मायने
कोरबा जिले में चाहे कोई भी चुनाव हो प्रत्याशियों की हार जीत के लिए आर्थिक संसाधन सबसे ज्यादा मायने रखते हैं। हर चुनाव में इस प्रकार के अनुभव रहे हैं और इसीलिए इसकी पुनरावृत्ति की जानी अपेक्षित हो गई है। जानकार सूत्रों ने बताया कि कटघोरा में नगर पालिका अध्यक्ष बनने के लिए भाजपा प्रत्याशी अगर ५० पैसे के हिसाब से खर्च करने की मानसिकता में है तो कांग्रेस प्रत्याशी इस मामले में चार गुना अधिक खर्च करने की सामर्थ रखते हैं। यह बात अलग है कि दोनों ही इस प्रकार की स्थिति पर निगरानी रखने के दावे कर रहे हैं ताकि कोई किसी से आगे नहीं निकल सके।
बन रहे टकराव के हालात
कोरबा जिले में ६ नगरी निकाय संस्थानों में चुनाव संपन्न होने जा रहे हैं लेकिन सबसे अधिक तनाव की स्थिति कटघोरा नगर पालिका क्षेत्र में बनी हुई है। यहां के वार्ड संख्या आठ में चुनाव प्रचार और अन्य कारण से दो पक्ष आपस में उलझ गए। मारपीट की स्थिति भले ही नहीं बन सकती लेकिन बाकी सब कुछ हो गया। अप्रिय स्थिति को टालने के लिए यहां पुलिस पार्टी को पहुंचकर हस्तक्षेप करना पड़ा। जब तक चुनाव संपन्न नहीं हो जाते, पुलिस को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ेगी।
दो क्षेत्र की जिम्मेदारी पुलिस को
कटघोरा पुलिस के कंधे पर नगरी निकाय चुनाव में एक नगर पालिका और छोटी नगर पंचायत क्षेत्र की जिम्मेदारी है। उसे मौजूदा मैनपॉवर के साथ इन दोनों क्षेत्रों में पुलिसिंग के साथ सुरक्षा व्यवस्था और सभी प्रकार की स्थितियों पर नियंत्रण रखना पढ़ रहा है। चुनाव के दौरान अलग-अलग प्रकार से प्रशासन और पुलिस के पास शिकायतें पहुंचती हैं । एक ही समय आप बहुत सारे स्थान पर नहीं पहुंच सकते। आमतौर पर देखा गया है कि चुनाव के सीजन में दूसरे अधिकारी विवादित क्षेत्र में जाने से बचा करते हैं और ऐसे में अंतिम रूप से पुलिस को ही मोर्चा संभालना पड़ता है ताकि तस्वीर विकृत होने से बच सके।