ढाका, 2२ जनवरी ।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से ही ढाका में कई विश्लेषकों ने आशंका जताई है कि आने वाले दिनों में बांग्लादेश को लेकर अमेरिकी नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। बांग्लादेश में मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार अगस्त 2024 में सत्ता में आने के बाद से ही देश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदूओं को निशाना बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैकफुट पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों की निंदा की थी। ट्रंप ने एक्स पर अपनी एक पोस्ट में हिंदू अमेरिकियों को दिवाली की शुभकामनाएं देते हुए बांग्लादेश की कड़े शब्दों में आलोचना की थी। उन्होंने 31 अक्टूबर को लिखा, मैं हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं। बांग्लादेश में उन पर भीड़ द्वारा हमला किया जा रहा है और लूटपाट की जा रही है। वह देश पूरी तरह से अराजकता की स्थिति में है।
उन्होंने कहा, मेरे कार्यकाल में ऐसा कभी नहीं होता.. हम कट्टरपंथी वामपंथियों के धर्म-विरोधी एजेंडे से हिंदू अमेरिकियों की भी रक्षा करेंगे। हम आपकी स्वतंत्रता के लिए लड़ेंगे। मेरे प्रशासन में हम भारत और मेरे अच्छे मित्र प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी महान साझेदारी को भी मजबूत करेंगे। हालांकि, पिछले महीने यूनुस सरकार ने वाशिंगटन में आने वाले प्रशासन की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने की कोशिश की थी और कहा था कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद भी पांच दशक पुराना रिश्ता अपरिवर्तित रहेगा। लेकिन, स्थानीय विशेषज्ञों का भी मानना है कि ढाका के लिए आगे का रास्ता कठिन है। डेली स्टार अखबार के मुताबिक, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि वह अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत से वापस लाने के लिए अपने प्रयास जारी रखेगी और यदि आवश्यक हुआ तो अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग करेगी। कानून सलाहकार आसिफ नजरूल ने यहां सचिवालय में कहा कि यदि नई दिल्ली हसीना को वापस करने से इनकार करती है, तो यह बांग्लादेश और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि का उल्लंघन होगा। 77 वर्षीय हसीना पिछले साल पांच अगस्त से भारत में रह रही हैं। छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद उन्होंने बांग्लादेश छोड़ दिया था।