
जांजगीर-चांपा। जिला मुख्यालय जांजगीर में कहने को तो दो बस स्टैण्ड है लेकिन न तो बसें पहुंच रही है और न ही यात्री। जांजगीर शहर की सडक़ें ही इन यात्री बसों का स्थायी स्टापेज बन चुका है। सडक़ के किनारे ही बसें रूकती है, सवारियां भरती है और इन बस स्टैंड के सामने ही फरर्राटे भरते हुए आगे बढ़ जाती है। ऐसे में यात्रियों ने भी यहां जाना छोड़ दिया। सडक़ किनारे बसों के रूकने से जहां ट्रैफिक जाम होता है वहीं यात्री भी हलाकान होते हैं।
गौरतलब है कि जिला मुख्यालय जांजगीर में केरा रोड में न्यू बस स्टैंड का निर्माण हुआ है। इसी तरह नैला में ही बस टर्मिनल बनाया गया है। तामझाम के साथ नगरपालिका के द्वारा इसका निर्माण तो कराया गया लेकिन इसका फायदा
इस तरह सडक़ों पर ही रूकती हैं यात्री बसें और बिठाते हैं सवारी। बसें नहीं जातीं, फिर भी संवारने फूंक रहे लाखों बसों को यहां तक पहुंचाने की दिशा में जिम्मेदारों ने कभी पहल नहीं की लेकिन शासन के पैसे फूंकने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पांच साल पहले केरा रोड स्थित बस स्टैंड के रंगाई-पुताई में लाखों फूंक दिए। सामने न्यू बस स्टैंड नया लिखवा दिया मगर अंदर स्थिति नर्क से बदतर ही छोड़ दी। स्टैंड के अंदर परिसर अब तक केवल जाम छलकाने और जुआ-सट्टा खेलने का काम आ रहा है। यही हाल नैला बस स्टैंड का है। यहां भी सीसी सडक़ बनाकर लाखों फूंक दिए। जबकि व्यवसासिक काम्प्लेक्स बिना आवंटन खंडहर हो गए।
शहरवासियों को आज तक नहीं मिला। शहर में चारों दिशाओं की और बसें चलती है और केरा रोड और नैला मार्ग से ही गुजरती है जहां ये बस स्टैंड बनाए गाए है लेकिन इन बस स्टैंडों में रूकने के बजाए यात्री बसें यहां से सीधे निकल जाती है। लेकिन जिम्मेदारों ने इसे सुधारने कभी प्रयास नहीं किया बल्कि मुंह मोड़ लिया।
शहर के ये चौक-चौराहे बने स्टापेज
टैफिक थाना के बगल केरा रोड: शिवरीनारायण-गिधौरी रूट की बसें यहां रूकती है। श्रम न्यायालय के सामने: जैजैपुर-सक्ती-रायगढ़, बलौदा, बिलासपुर रूट की बसें रूकती है।
कचहरी चौक: जैजैपुर-सक्ती-रायगढ़, बलौदा, बिलासपुर रूट की बसें यहां भी रूकती है।
यह सभी शहर के सबसे व्यस्ततम मार्ग है। यहां सडक़ पर ही सवारी बिठाने से लेकर सामान लोड-अपलोड भी होता है।