कोरब। परीक्षा का नाम सुनते ही बच्चों के मन में एक अज्ञात भय उत्पन्न हो जाता है। इसे एंजायटी या एग्जाम फोबिया का नाम मिला हुआ है । विद्यार्थी अच्छी तैयारी करने के बावजूद परीक्षा के तनाव के कारण मतलब की बात भूल जाते हैं, या डर के कारण तैयारी ही नहीं कर पाते हैं। इस प्रकार के डर से उबरने के लिए उन्हें कुछ आसान टिप्स पर काम करना होगा। अभिभावक भी इस बारे में उनकी सहायता कर सकते हैं।
नगरी निकाय और पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद छत्तीसगढ़ बोर्ड सहित सीबीएसई की परीक्षाएं शुरू हो जाएंगे । परीक्षा को लेकर एक तरफ विद्यार्थी तैयारी भी कर रहे हैं और दूसरी तरफ भयभीत भी हैं। उन्हें इस डर से बाहर निकाला जाना जरूरी समझा जा रहा है।। मनोचिकित्सक डॉ. नीलिमा महापात्रा ने बताया कि एग्जाम फियर बच्चों में एक आम समस्या है। स्वाभाविक है कि जिन बच्चों की तैयारी अधूरी होती है, वे डरते हैं। लेकिन कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि अच्छी तरह पढऩे के बावजूद बच्चे परीक्षा का नाम सुनते ही डर जाते हैं। यह बच्चों के लिए एक गंभीर समस्या हो सकती है. ऐसे में बच्चों को किसी मनोचिकित्सक से परामर्श कराना चाहिए ताकि वे डर का सामना करना सीख सकें। डॉ. महापात्रा ने बताया है कि यदि बच्चे पढऩे के बावजूद परीक्षा के नाम से डरते हैं या डर के कारण पढ़ नहीं पाते, तो उन्हें मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। थेरेपी के माध्यम से बच्चे डर से लडऩा सीखते हैं और बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं। थेरेपी बच्चों को तनाव से निपटने के तरीके सिखाती है और परीक्षा के दौरान शांत रहने में मदद करती है।
सही रणनीति अपनाना होगा कारगर
जीवन के क्षेत्र में परीक्षा कई प्रकार की हो सकती है जिस व्यक्ति का सीधा सामना होता है। इसलिए परीक्षा का डर एक आम समस्या है लेकिन सही रणनीति अपनाकर इसे दूर किया जा सकता है। आवश्यकता इस बात की है कि कोई भी विद्यार्थी हर विषय को समान रूप से महत्व दें और विषय वस्तु को समझने के लिए और दोहराने के लिए समय निकालें। ऐसा करने से वह कंटेंट को भली भांति समझेगा और उसे हल करने को लेकर मन में बना हुआ डर समाप्त होगा। हेमंत माहुलीकर, शिक्षाविद