वाशिंगटन, 2२ जनवरी ।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभालते ही ताबड़तोड़ फैसले लेने शुरू कर दिए है। अपने वादों को निभाते हुए उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर पहले ही दिन कई कार्यकारी आदेशों पर दस्तखत किए। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कई आदेशों को रद कर दिया है। ट्रंप ने कार्यकारी आदेशों के जरिये कैपिटल हिल दंगे के आरोपित अपने 1500 समर्थकों को आम माफी दे दी है। उन्होंने अपने देश को पेरिस जलवायु संधि से अलग कर लिया है। अमेरिका अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का सदस्य भी नहीं रहेगा। इसके साथ ही अमेरिका में अब जन्मसिद्ध नागरिकता नहीं मिलेगी। गौरतलब है कि इस समय अमेरिका में जन्म लेने वालों को अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है भले ही उनके माता पिता अमेरिकी न हों। ट्रंप ने सोमवार को जलवायु परिवर्तन पर महत्वाकांक्षी पेरिस समझौते से हटने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने आदेश पर हस्ताक्षर करने से पहले कहा, मैं तुरंत पेरिस जलवायु समझौते से हट रहा हूं। इससे पहले ट्रंप के पहले कार्यकाल में जनवरी 2017 में भी अमेरिका पेरिस समझौते से हटा था, लेकिन जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद फिर इसमें शामिल हो गया। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने के लिए वैश्विक तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए दुनिया के देशों ने यह समझौता किया है। अमेरिका के हटने से दुनिया में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की पहल को झटका लगना तय है। कार्यकारी आदेश में कहा गया है, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत को जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के तहत पेरिस समझौते से अपनी वापसी की औपचारिक लिखित अधिसूचना तुरंत पेश करनी होगी। यह मेरे प्रशासन की नीति है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी अंतरराष्ट्रीय समझौते में अमेरिका और अमेरिकी लोगों के हितों का सबसे पहले ध्यान रखा जाए। इन समझौतों से अमेरिका पर अनावश्यक या गलत तरीके से बोझ नहीं पडऩा चाहिए। ट्रंप ने इसे एकतरफा समझौता बताते हुए कहा कि अमेरिका अपने उद्योगों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, जबकि चीन बेखौफ होकर प्रदूषण फैला रहा है। ट्रंप की टीम के अनुसार पेरिस समझौता अमेरिकी श्रमिकों, कारोबारियों और करदाताओं पर अनुचित आर्थिक बोझ डालता है। चीन ने कहा कि वह इस घोषणा को लेकर चिंतित है। जलवायु परिवर्तन समस्त मानव जाति के सामने चुनौती है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा, कोई भी देश इससे अलग नहीं रह सकता। यूरोपीय संघ के जलवायु नीति प्रमुख वोपके होकेस्ट्रा ने ट्रंप के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ से अमेरिका के बाहर निकलने के आदेश पर भी हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा, डब्ल्यूएचओ ने कोविड -19 महामारी और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संकटों से निपटने में नाकाम रहा। अमेरिका डब्ल्यूएचओ से बाहर होगा। यह संगठन सदस्य देशों के राजनीतिक प्रभाव से स्वतंत्र होकर कार्य करने में विफल रहा है।ट्रंप ने कहा, जब मैं राष्ट्रपति था तो हमने विश्व स्वास्थ्य को 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया था। मैंने इसे समाप्त कर दिया। कोई नहीं जानता कि इस समय हमारी जनसंख्या कितनी है, क्योंकि बहुत सारे लोग अवैध रूप से आए हैं। लेकिन मान लीजिए कि हमारे पास 32. 5 करोड़ लोग हैं, तब भी चीन में 1.4 अरब लोग हैं। वे 39 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान कर रहे थे।आगे कहा कि हम 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान कर रहे थे। यह मुझे थोड़ा अनुचित लगा। मैं (डब्ल्यूएचओ से) बाहर हो गया। उन्होंने मुझे 39 मिलियन अमेरिकी डॉलर में वापस आने की पेशकश की। यह उससे कम होना चाहिए, लेकिन, जब बाइडन राष्ट्रपति बने तो वे 500 मिलियन मिलियन अमेरिकी डॉलर में वापस आए।आदेश में कहा गया है कि 1.4 अरब की आबादी वाले चीन में अमेरिका की 300 प्रतिशत आबादी रहती है, फिर भी वह डब्ल्यूएचओ को लगभग 90 प्रतिशत कम योगदान देता है। अमेरिका डब्ल्यूएचओ से हटने का इरादा रखता है।
डब्ल्यूएचओ ने अमेरिका को धोखा दिया। अब ऐसा नहीं होने वाला है। ट्रंप के आदेश में कहा गया है डब्ल्यूएचओ के साथ काम करने वाले अमेरिकी सरकारी कर्मियों को वापस बुलाया जाएगा।आदेश में कहा गया है कि ट्रंप संयुक्त राष्ट्र महासचिव को अमेरिका की वापसी की योजना के बारे में औपचारिक रूप से सूचित करने के लिए पत्र भेजेंगे। इधर डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को कहा, उम्मीद है कि अमेरिका फैसले पर पुनर्विचार करेगा। गौरतलब है कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ की कुल फंडिंग में लगभग 18 प्रतिशत का योगदान देता है। कई विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका के इस कदम से डब्ल्यूएचओ की कई योजनाओं के लिए फंड की कमी हो सकती है।ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में 2020 में भी डब्ल्यूएचओ से हटने के लिए कदम उठाया था।डब्ल्यूएचओ छोडऩे के लिए एक साल की नोटिस अवधि और किसी भी बकाया शुल्क का भुगतान करना आवश्यक है। पिछली बार यह अवधि समाप्त होने से पहले ही बाइडन ने राष्ट्रपति चुनाव जीता और 20 जनवरी, 2021 को राष्ट्रपति के तौर पर पहले ही दिन इस फैसले पर रोक लगा दी थी।यूएस कैपिटल (अमेरिकी संसद) पर छह जनवरी 2021 के हमले में दोषी ठहराए गए या आरोपित लगभग 1,500 लोगों को आम माफी देने के लिए ट्रंप ने राष्ट्रपति के तौर पर क्षमादान करने की अपनी शक्ति का उपयोग किया। जिन लोगों को माफी मिली है उनमें पुलिस अधिकारियों पर हमला करने वाले दंगाई भी शामिल है।अमेरिका में हुए 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की हार के बाद छह जनवरी 2021 को उनके समर्थकों ने यूएस कांग्रेस पर धावा बोल दिया था। इस हमले में 100 से अधिक पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे। ट्रंप ने अपने समर्थकों के खिलाफ संघीय मामलों को समाप्त करने का भी आदेश दिया।दंगाइयों को ”देशभक्त” और ”बंधक” करार देते हुए ट्रंप ने दावा किया है कि उनके साथ न्याय विभाग ने गलत बर्ताव किया। ट्रंप ने कहा कि क्षमादान से ”पिछले चार वर्षों में अमेरिकी लोगों पर किए गए राष्ट्रीय अन्याय” का अंत होगा। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने दंगाइयों को माफी देने के कदम की निंदा की है।ट्रंप ने अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता समाप्त करने के लिए कदम उठाए हैं। सोमवार रात हस्ताक्षरित कार्यकारी आदेश के जरिये संघीय एजेंसियों को निर्देश दिया गया है कि वे अमेरिका में पैदा हुए उन बच्चों को अमेरिकी नागरिकता की मान्यता देने से इन्कार करें जिनके माता- पिता अवैध रूप से या अस्थायी वीजा पर देश में हैं। तब तक बच्चे को नागरिकता न दी जाए जब तक माता-पिता में से एक अमेरिकी नागरिक या वैध स्थायी निवासी न हो।आदेश पर हस्ताक्षर करने के 30 दिनों के बाद से इन परिस्थितियों में पैदा हुए बच्चे अमेरिकी नागरिकता के लिए पात्र नहीं होंगे।इधर इस कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटों बाद नागरिक अधिकारों और आव्रजन समूहों के संगठन ने इस कदम को चुनौती देते हुए न्यू हैम्पशायर की संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया है।