कोरबा। ऑल इंडिया इंश्योरेंस एम्पलाईज एसोसियेशन के सह सचिव धर्मराज महापात्रा ने कहा है कि बीमा क्षेत्र में नये ईपीओ और कर्मचारियों की घटती संख्या से स्थिति खतरनाक होती जा रही है। सरकार के ऐसे प्रयासों का हम विरोध करते है।
रविवार को वे प्रेस क्लब में मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों में बीमा सेक्टर में 26 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, फिर वर्ष 2015 में बढ़ाकर 49 प्रतिशत और फिर पुन: बढ़ाकर वर्ष 2021 में 74 प्रतिशत वृद्धि कर दी गई। संसद में वित्त राज्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत आंकड़े के अनुसार मात्र 32.67 प्रतिशत ही आया है। जबकि दबाव में इसे लगातार बढ़ाया जा रहा है। कर्मचारियों के लिए यह खतरें की घंटी है। उनका आरोप है कि सरकार समग्र बीमा संशोधन विधेयक 2025 के जरिये बीमा कानून 1938 (बीमा अधिनियम), अधिनियम 1956 और आईआरडीए अधिनियम 1999 में प्रतिगामी संशोधन के जरिये इन कानूनों को समाप्त कर कार्पोरेट एवं विदेशी कंपनियों का ही हित साधने का कार्य कर रही है। कई उदाहरण के कारण उन्होंने बात को स्पष्ट किया है। उनका कहना है कि नये ईपीओ लॉंच करने से भी दिक्कतें बढ़ी है। धर्मराज ने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम जो कि मात्र 5 करोड़ से अपनी यात्रा आरंभ की थी व आज देश के पॉलिसी धारकों के विश्वास का पर्याय बन गया है। आज 55 लाख करोड़ रू की परिसंपत्तियों को प्रबंधित कर रही है।