
नई दिल्ली। किसे पकड़ें और किसे छोड़ें, लंबे समय से इसी उलझन में फंसी बसपा उत्तर प्रदेश में अपना जनाधार लगभग खो चुकी है। दूसरे राज्यों में जमीन तलाशने के लिए लगातार प्रयासरत पार्टी प्रमुख मायावती अब देश के पश्चिमी और दक्षिणी भाग के राज्यों में पांव जमाना तो चाहती हैं, लेकिन उलझन यहां भी दिख रही है।
मायावती ने नई दिल्ली में वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक की
उन्होंने स्थानीय संवेदनशील राजनीतिक मुद्दों पर चिंता तो जाहिर की है, लेकिन इन पर अपनी पार्टी का रुख पूरी तरह स्पष्ट करने की बजाए वह ‘मध्य मार्ग’ पकड़ती दिखती हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने शनिवार को नई दिल्ली में वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक की।
एक्स पर पोस्ट लिखते हुए उन्होंने स्वयं बताया कि पश्चिम के महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु व केरल में पार्टी संगठन के गठन की तैयारी है। वहां जनाधार मजबूत करने के लिए मंथन किया गया। एक्स पर पोस्ट लिखते हुए उन्होंने स्वयं बताया कि पश्चिम के महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु व केरल में पार्टी संगठन के गठन की तैयारी है। वहां जनाधार मजबूत करने के लिए मंथन किया गया। कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि पार्टी के दिशा-निर्देश के आधार पर संगठन के काम में तन-मन-धन से जुट जाएं। बसपा प्रमुख ने इन राज्यों के उन ज्वलंत मुद्दों पर दी गई अपनी राय भी साझा की, जिन पर उन्होंने अपने पदाधिकारियों के साथ चर्चा की है।
जैसे कि जनगणना के बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन, नई शिक्षा नीति और त्रिभाषा मॉडल। यह ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर दक्षिण के राज्यों और केंद्र सरकार के बीच खींचतान चल रही है। अब त्रिभाषा माडल पर भाजपा शासित महाराष्ट्र में भी विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया है। खास तौर पर त्रिभाषा मॉडल पर देश के अधिकतर राजनीतक दलों का रुख स्पष्ट है। राजग के घटक दल सरकार के निर्णयों के समर्थन में तो आइएनडीआइए के घटक दल खुलकर विरोध में हैं। मगर, मायावती ने रुख स्पष्ट नहीं किया। उन्होंने इन मुद्दों पर चिंता तो जताई, लेकिन राजनीतिक स्वार्थ, देशहित और संविधान के पालन जैसे शब्दों की ओट में कोई पाला छुए बगैर सधे कदमों से निकलने का प्रयास दिखा।
एक्स पर पोस्ट लिखते हुए उन्होंने स्वयं बताया कि पश्चिम के महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु व केरल में पार्टी संगठन के गठन की तैयारी है। वहां जनाधार मजबूत करने के लिए मंथन किया गया। एक्स पर पोस्ट लिखते हुए उन्होंने स्वयं बताया कि पश्चिम के महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु व केरल में पार्टी संगठन के गठन की तैयारी है। वहां जनाधार मजबूत करने के लिए मंथन किया गया। कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि पार्टी के दिशा-निर्देश के आधार पर संगठन के काम में तन-मन-धन से जुट जाएं। बसपा प्रमुख ने इन राज्यों के उन ज्वलंत मुद्दों पर दी गई अपनी राय भी साझा की, जिन पर उन्होंने अपने पदाधिकारियों के साथ चर्चा की है।
जैसे कि जनगणना के बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन, नई शिक्षा नीति और त्रिभाषा मॉडल। यह ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर दक्षिण के राज्यों और केंद्र सरकार के बीच खींचतान चल रही है। अब त्रिभाषा माडल पर भाजपा शासित महाराष्ट्र में भी विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया है। खास तौर पर त्रिभाषा मॉडल पर देश के अधिकतर राजनीतक दलों का रुख स्पष्ट है। राजग के घटक दल सरकार के निर्णयों के समर्थन में तो आइएनडीआइए के घटक दल खुलकर विरोध में हैं। मगर, मायावती ने रुख स्पष्ट नहीं किया। उन्होंने इन मुद्दों पर चिंता तो जताई, लेकिन राजनीतिक स्वार्थ, देशहित और संविधान के पालन जैसे शब्दों की ओट में कोई पाला छुए बगैर सधे कदमों से निकलने का प्रयास दिखा।