
कोरबा । कोरबा जिले के कुसमुंडा क्षेत्र में स्थित एसईसीएल की कोयला खदानों में कार्यरत निजी आउटसोर्सिंग कंपनी में भू-विस्थापितों के साथ विवादों को निपटाने के लिए महिला बाउंसरों की तैनाती किए जाने का एक गंभीर मामला सामने आया है।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें दो महिला बाउंसर एक व्यक्ति को मारते और घसीटते हुए साफ नजर आ रही हैं। इस घटना ने क्षेत्र के भू-विस्थापित परिवारों में भारी आक्रोश भर दिया है, और कई संगठन इस अमानवीय कृत्य का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि एक निजी कंपनी द्वारा स्थानीय भू-विस्थापितों, जो अक्सर नौकरी या अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हैं, उनसे निपटने के लिए महिला बाउंसरों की एक टीम तैनात की गई है। वायरल वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कंपनी परिसर के पास दो महिला बाउंसर एक पुरुष व्यक्ति के साथ बल प्रयोग कर रही हैं। वे न केवल उसे पीट रही हैं, बल्कि उसे कलर पकड़ कर घसीटते हुए भी दिखाई दे रही हैं। यह घटना कंपनी द्वारा विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए अत्यधिक बल के उपयोग को दर्शाती है।
इस वीडियो के सामने आने के बाद से कुसमुंडा क्षेत्र के भू-विस्थापित परिवारों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। भू-विस्थापितों का कहना है कि उनकी जमीनें खदान विस्तार के लिए अधिग्रहित की गई हैं, लेकिन उन्हें वर्षों बाद भी न तो उचित मुआवजा मिला है और न ही नियमानुसार रोजगार दिया गया है। जब वे अपनी न्यायसंगत मांगों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से आवाज उठाते हैं, तो कंपनी प्रबंधन उन्हें बाउंसरों के माध्यम से दबाने और डराने-धमकाने की कोशिश करता है।
कई स्थानीय संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता इस घटना की कड़ी निंदा कर रहे हैं। उनका आरोप है कि निजी आउटसोर्सिंग कंपनियां पुलिस या प्रशासन की भूमिका निभाते हुए कानून को अपने हाथ में ले रही हैं। उन्होंने तत्काल महिला बाउंसरों को हटाने, वीडियो में दिख रही महिला बाउंसरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और कंपनी प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है।स्थानीय लोगों का आरोप लगाते हुए कहना है कि यह पहली बार नहीं है, जब कुसमुंडा क्षेत्र में भू-विस्थापितों के साथ आउटसोर्सिंग कंपनियों के कर्मचारियों या बाउंसरों द्वारा मारपीट या दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है। पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां भू-विस्थापित महिलाओं द्वारा अर्धनग्न प्रदर्शन तक किया गया है, जो उनकी बेबसी और शोषण को दर्शाता है।
संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जिला प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन ने इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेकर ठोस कार्रवाई नहीं की, तो वे उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।