न्यूयार्क। मिस्त्र के शर्म अल शेख में सोमवार (आज) को गाजा समेत पश्चिम एशिया में शांति के उद्देश्य से पीस समिट आयोजित की गई है। इस समिट में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप सहित 20 से ज्यादा देशों के नेता भाग लेंगे। इस सिलसिले में आयोजित कार्यक्रम में इजरायल और हमास अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की घोषित शांति योजना पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।इजरायल इस योजना से सहमत है लेकिन हमास में कुछ बिंदुओं को लेकर असहमति है। हमास गाजा की सत्ता छोडऩे के लिए तैयार है लेकिन हथियार छोडऩे पर उसका प्रबल विरोध है। मिस्त्र पहुंचने से पहले ट्रंप इजरायल जाएंगे। वहां पर वह बंधकों के रिश्तेदारों से मिलेंगे, प्रधानमंत्री नेतन्याहू से वार्ता करेंगे और संसद को संबोधित करेंगे।मिस्त्र में होने वाले कार्यक्रम से पहले सोमवार दोपहर तक हमास 20 जीवित इजरायली बंधकों को रिहा कर देगा लेकिन 28 बंधकों के शवों की वापसी में कुछ देर हो सकती है। बदले में इजरायल करीब दो हजार फलस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा। तेल अवीव के होस्टेज स्क्वेयर पर इन बंधकों का इंतजार हो रहा है। बंधकों के परिवारों के साथ दसियों हजार लोग बंधकों से मिलन की घड़ी का रविवार से ही इंतजार कर रहे हैं। बंधकों के रिश्तेदारों के मन में रिहा होने वाले प्रियजन से मिलने की उम्मीद है तो आशंका भी है कि उन्हें उनका प्रियजन बुरे हाल में तो नहीं मिलेगा।ट्रंप की बेटी इवांका, दामाद जेरेड कुश्नर और विशेष दूत स्टीव विटकाफ इस समय इजरायल में मौजूद हैं। विटकाफ, कुश्नर और अमेरिकी सेना की मध्य कमान के प्रमुख एडमिरल ब्रैड कूपर ने गाजा का दौरा कर वहां के हालात को देखा है। विटकाफ ने शांति योजना को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विदित हो कि शुक्रवार दोपहर को गाजा में शांति योजना लागू हुई थी और इजरायली सेना ने हमले रोके थे।
और उसके बाद वह पीछे हटी थी।
इसके 72 घंटे के भीतर हमास को इजरायली बंधकों को रिहा करना है।गाजा में अभी भी लोगों का घर वापसी का दौर जारी है। बीते दो दिनों में लाखों लोग कारों, जानवरों से खींची जाने वाली गाडिय़ों और पैदल चलकर अपने मूल निवास वाले शहरों-कस्बों में पहुंचे हैं लेकिन ऐसे सौभाग्यशाली कुछ हजार ही हैं जिन्हें अपने घर सही-सलामत मिले हैं।इजरायली हमलों में बर्बाद हुए घरों के निवासी लाखों लोगों को आने वाले कई वर्ष टेंटों में काटने पड़ सकते हैं। इन फलस्तीनियों को सोमवार से पर्याप्त मात्रा में राहत सामग्री मिलनी शुरू हो जाएगी।