
एमसीबी। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत वल्र्ड मेंटल हेल्थ डे की थीम पर बेलबहरा हाई स्कूल में बालिकाओं के मानसिक स्वास्थ्य, आत्मविश्वास, भावनात्मक सशक्तिकरण और समग्र व्यक्तित्व विकास पर केंद्रित एक भव्य एवं प्रेरणादायी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी डी. राहुल वेंकट के मार्गदर्शन और महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी राजकुमार खाती के कुशल नेतृत्व में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का मंच संचालन मिशन शक्ति हब की जिला समन्वयक श्रीमती तारा कुशवाहा द्वारा किया गया, जिन्होंने अपने प्रभावशाली संचालन और प्रेरक शब्दों से पूरे कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। उन्होंने छात्राओको आत्मविश्वास और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए सकारात्मक सोच अपनाने की प्रेरणा दी। आज के कार्यक्रम में सखी वन स्टॉप सेंटर की मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता सुश्री अमीषा कुशवाहा, चाइल्ड लाइन की परामर्शदाता श्रीमती रूमा पाठक, बाल संरक्षण इकाई के परामर्शदाता राकेश कुमार साहू ने भी बालिकाओं के जीवन में आने वाली समस्याओं पर बातचीत किया और उन समस्याओं के समाधान के बारे में बालिकाओं को जानकारी प्रदान किया। विद्यालय परिसर इस अवसर पर उत्साह, ऊर्जा और जागरूकता से सराबोर रहा, जहाँ छात्राओं और शिक्षकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। विशेषज्ञ वक्ताओं ने छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व, तनाव प्रबंधन, आत्मविश्वास निर्माण, परीक्षा के दबाव से निपटने, तथा जीवन में संतुलन और दृढ़ता बनाए रखने के व्यावहारिक उपायों की जानकारी दी। मनोवैज्ञानिकों ने कहा कि मानसिक रूप से स्वस्थ रहना जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है, क्योंकि एक सशक्त मन ही सशक्त समाज और सफल भविष्य की नींव रखता है। कार्यक्रम के दौरान छात्राओं को योग, ध्यान, आत्म-चिंतन और समय प्रबंधन जैसी तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें बताया गया कि आधुनिक प्रतिस्पर्धा के इस युग में मानसिक संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। बालिकाओं को प्रेरित किया गया कि वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में हिचकिचाएँ नहीं और जरूरत पडऩे पर परिवार, शिक्षकों या मित्रों से खुलकर संवाद करें। इस अवसर पर विद्यालय की छात्राओं ने वल्र्ड मेंटल हेल्थ डे और महिला सशक्तिकरण – मिशन शक्ति हब थीम पर आधारित निबंध, भाषण और पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए। उनके बनाए पोस्टर और स्लोगन समाज को यह संदेश दे रहे थे कि एक सशक्त बेटी ही स्वस्थ समाज और मजबूत राष्ट्र की आधारशिला है।
छात्राओं की प्रस्तुतियों में आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच और मानसिक दृढ़ता का उत्कृष्ट समन्वय देखने को मिला। कार्यक्रम में वक्ताओं ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति खुली चर्चा आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। प्रत्येक बेटी को अपने भीतर के विचारों और भावनाओं को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का अवसर मिलना चाहिए। मानसिक चुनौतियों से निपटने के लिए सहायता मांगना कमजोरी नहीं, बल्कि एक समझदारी भरा कदम है। शिक्षकों ने छात्राओं को अनुशासन, सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्मविश्वास के साथ जीवन जीने की प्रेरणा दी। जिला प्रशासन द्वारा इस आयोजन को स्वस्थ मन, सशक्त बेटी – मजबूत समाज की नींव थीम पर आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य बेटियों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के प्रति समाज में जागरूकता फैलाना था। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित छात्राओं और शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि इस प्रकार की पहले समाज में सकारात्मक सोच और संवेदनशीलता का संचार करती हैं। ऐसी गतिविधियां न केवल बालिकाओं के आत्मविश्वास को मजबूत करती हैं, बल्कि एक जागरूक, प्रगतिशील और मानसिक रूप से सशक्त समाज की नींव भी रखती हैं। समापन सत्र में सभी छात्राओं ने सामूहिक रूप से यह संकल्प लिया कि वे अपने आसपास मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करेंगी और समाज में स्वस्थ मन, सशक्त भारत का संदेश घर-घर तक पहुँचाएंगी। यह प्रेरणादायक आयोजन न केवल बालिकाओं के मानसिक विकास का प्रतीक बना, बल्कि यह संदेश भी दिया कि मानसिक रूप से मजबूत बेटियाँ ही भविष्य के सशक्त भारत की वास्तविक पहचान हैं।