
एमसीबी। छत्तीसगढ़ राज्य सदैव से कृषि प्रधान रहा है, जहां किसान न केवल अन्नदाता हैं बल्कि समृद्धि के वास्तविक वाहक भी हैं। राज्य की पहचान धान का कटोरा के रूप में पूरे देश में प्रसिद्ध है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने, उन्हें तकनीकी रूप से सशक्त बनाने तथा पारदर्शी भुगतान व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में अनेक ठोस कदम उठाए हैं। इन्हीं योजनाओं और दूरदर्शी नीतियों के फलस्वरूप् है जो जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर ने खरीफ वर्ष 2024-25 में धान उपार्जन कार्य में ऐतिहासिक सफलता अर्जित की है।
खरीफ वर्ष 2023-24 में जिले में कुल 14 समितियों के माध्यम से 24 उपार्जन केंद्र संचालित किए गए थे। उस दौरान 18,061 किसान पंजीकृत हुए, जिनका कुल रकबा 24,199.93 हेक्टेयर था। जिसमें जिले का खरीदी लक्ष्य 8.55 लाख क्विंटल निर्धारित किया गया था, जिसमें 14,676 किसानों ने अपनी उपज बेचकर सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठाया। इस अवधि में कुल 8.65 लाख क्विंटल धान खरीदी गई और खरीदी गई धान की कुल राशि 18,892.37 लाख रुपये रही। वहीं वर्ष 2024-25 में जिले ने उपार्जन तंत्र को और अधिक सशक्त किया। पंजीकृत किसानों की संख्या बढक़र 20,171 हो गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2,110 किसानों की वृद्धि है।
पंजीकृत रकबा बढक़र 25,846.178 हेक्टेयर दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष से लगभग 1,646 हेक्टेयर अधिक है। इस वर्ष कुल उपार्जन केंद्र 25 थे। जिले ने 9.69 लाख क्विंटल धान खरीदी की, जो लक्ष्य 9.55 लाख क्विंटल से 0.14 लाख क्विंटल अधिक है। जो कि खरीदी राशि 22,307.60 लाख रुपये रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3,415.23 लाख रुपये अधिक है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में कृषक उन्नति योजना ने किसानों को धान बिक्री के तुरंत बाद आर्थिक सहयोग प्रदान किया। खरीफ वर्ष 2023-24 में 14,676 किसानों को 7,936.01 लाख रुपए का भुगतान किया गया। खरीफ वर्ष 2024-25 में योजना के दायरे में वृद्धि हुई और 16,426 किसानों को 7,759.16 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई, जिनमें से 16,314 किसानों को 7,687.72 लाख रुपए का भुगतान किया गया था। शेष 112 किसानों को 71.44 लाख की राशि ट्रिकल प्राप्त होते ही दी गई। इस प्रकार किसानों की संख्या में 1,750 की वृद्धि हुई और लगभग 176.85 लाख रुपए अतिरिक्त राशि किसानों को लाभ पहुंची। वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता में जिले ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। वर्ष 2024-25 में कालातीत मांग 279.54 लाख रुपए और चालू मांग 2,583.88 लाख रुपए रहा, जबकि कुल मांग 2,863.42 लाख रुपए रही। धान खरीदी पोर्टल में दर्ज मांग 3,185.05 लाख रुपए रही और लिंकिंग से वसूली 2,822.33 लाख हुई थी, जो 98.57 प्रतिशत है। डिजिटल प्रणाली ने हर लेन-देन को पारदर्शी और कुशल बनाया। धान उपार्जन केन्द्रों में किसानों को समय पर भुगतान के लिए का प्रयोग किया गया था । वर्ष 2024-25 में 16,419 किसानों को 22,284.09 लाख रुपए का भुगतान किया गया। भुगतान योग्य राशि और भुगतान की गई राशि दोनों समान रही, जिससे किसी भी किसान का भुगतान शेष नहीं रहा। धान उपार्जन के दौरान भंडारण और सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया। वर्ष 2024-25 में 148.77 लाख रुपए प्रासंगिक व्यय तथा 43.27 लाख रुपए भंडारण सुरक्षा व्यय हेतु भुगतान किए गए। यह दर्शाता है कि जिले ने खरीदी के साथ-साथ गुणवत्ता और सुरक्षा पर भी ध्यान दिया गया।
एमसीबी जिले का यह प्रदर्शन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की नीतियों का सजीव उदाहरण है। धान खरीदी अब सिर्फ प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं रही, बल्कि यह किसानों की आशा, आत्मसम्मान और विकास की कहानी बन गई है। पिछले वर्ष की तुलना में खरीदी, भुगतान और किसान सशक्तिकरण में हुई स्पष्ट वृद्धि ने जिले को प्रदेश और देश में आदर्श मॉडल बना दिया है। इस प्रकार जिले में किसानों की संख्या में 2,110 की वृद्धि, खरीदी गई धान की मात्रा में 1.04 लाख क्विंटल की वृद्धि और कुल खरीदी राशि में 3,415.23 लाख रुपए की वृद्धि हुई, जो यह दर्शाती है कि जिला कृषि तंत्र लगातार सशक्त और किसान-केंद्रित बना हुआ है।