जांजगीर-चांपा। जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में सिविल सर्जन के साथ डॉक्टर, नर्स व कर्मचारियों के बीच चल रहा विवाद कही थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रभारी सिविल सर्जन को हटाने को लेकर एक सूत्रीय मांग को लेकर लामबंद डॉक्टर व नर्स सहित 83 लोगों ने सामूहिक अवकाश ले लिया। वे एक दिवसीय हड़ताल पर रहे। ऐसे में एक ही दिन में व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई। परिजन व उनके परिजन हलाकान होते रहे।
गौरतलब है कि बैरिस्टर ठा. छेदीलाल शासकीय जिला चिकित्सालय जांजगीर में प्रभारी सिविल सर्जन के साथ डॉक्टरों, नर्स और कर्मचारियों के बीच तालमेल नहीं जम रहा है। बीते मार्च महीने में प्रभारी सविल सर्जन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए डॉक्टरों व कर्मचारियों ने जिले के मुखिया कलेक्टर कार्यालय तक पैदल मार्च करके ज्ञापन सौंपा था। इतना ही नहीं उन्होंने चरणबद्ध आंदोलन करने की चेतावनी देते हुए इसकी शुरूआत भी की थी। इस कड़ी में ओपीडी का बहिष्कार, सायकल स्टैण्ड के सामने उपचार करने का काम हुआ। दूसरी ओर डॉक्टरों की मांग पर जिम्मेदार प्रशासन ने जांच टीम गठित की और एक तरह से मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इधर मांग पर समुचित कार्रवाई नहीं होने से क्षुब्ध डॉक्टरों व नर्स के साथ स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने बुधवार 2 अप्रैल को सामूहिक अवकाश ले लिया। जिला अस्पताल के डॉक्टर, नर्स सहित 83 कर्मचारी एक ही दिन अवकाश पर चले गए। ऐसे में जिला अस्पताल में व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित हुई। मौजूद स्टाफ को अतिरिक्त जिम्मेदारी देकर कामकाज की औपचारिकता निभाई गई, लेकिन डॉक्टर और नर्स सहित 83 कर्मचारियों के एक ही दिन सामूहिक अवकाश लेने से मरीज और उनके परिजन हलाकान होते रहे। ओपीडी से लेकर वार्डों तक व्यवस्था प्रभावित हुई। कुल मिलाकर जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में प्रभारी सिविल सर्जन और डॉक्टरों व कर्मचारियों के बीच चल रहा विवाद कही थमने का नाम नहीं ले रहा है।
इलाज के लिए भटकते रहे मरीज
बैरिस्टर ठा. छेदीलाल शासकीय जिला चिकित्सालय जांजगीर में प्रभारी सिविल सर्जन के साथ डॉक्टरों, नर्स और कर्मचारियों के बीच ठीकठाक नहीं चल रहा है। इधर डॉक्टर और नर्स के सामूहिक अवकाश में चले जाने के कारण सबसे अधिक परेशानी मरीज और उनके परिजनों को हो रही है। बुधवार 2 अप्रैल को कुछ इसी की अव्यवस्था जिला अस्पताल को देखने को मिली। डॉक्टर एवं स्टाफ के सामूहिक अवकाश पर चले जाने के कारण ओपीडी सहित भर्ती मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। अब देखना यह है कि अस्पताल में व्यवस्था कब तक बन पाएगी।
साल से सेवा दे रहे एमडी पैथालाजिस्ट ने दिया इस्तीफा
जिला अस्पताल जांजगीर में डीएमएफ मद से लगभग 6 वषों से हाँ अश्वनी राठौर पदस्थ थे जो ब्लड बैंक, सिकलसेल यूनिट, पैथोलेख भी देख रहे थे। कोरोमा काल में भी उनकी बड़ी भूमिका थी। वहीं एमडी पैथालाजिस्ट ने विभिन्न कारणों के चलते अपने पद से इस्तीफा दिया। डा. अश्विनी कुमार राठौर द्वारा लिखे राये पत्र के अनुसार वे सितम्बर 2019 से प्वस्थ रहकर दिये गये दायित्व का निर्वहन कर रहे थे। पत्र में उन्होंने पीड़ा जताई है कि नये सिविल सर्जन द्वारा विगत 3 महीनो से विशेषज्ञ की तरह नहीं बल्कि मेडिकल आफिसर की तरह कार्य कराया जा रहा है। वे जानबूझकर मुझे नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे उनकी आत्मा आहत हुई है। उनका कार्यकाल प्रत्येक वर्ष 1-1 वर्ष का होता था जिसका प्रत्येक वर्ष नवीनीकरण होता है जो वर्तमान में 31 मार्च 2025 समाप्त हो रहा है। उक्त बातों के कारण अब नै आगे जिला अस्पताल में अपनी सेवारी जारी बही रखना चाहता हूं।